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आधुनिक भारत का इतिहास - उत्तर मुगल शासक तथा मुग़ल काल का पतन


आधुनिक भारत

उत्तर मुगल शासक


बहादुर शाह प्रथम (1707 1712) :-  उत्तराधिकार के युद्ध में विजय प्राप्त करने के उपरांत औरंगजेब का बड़ा पुत्र मुअज्जम बहादुरशाह के नाम से मुगल सिंहासन पर आसीन हुआ. वह उधार प्रकृति का था, 5 वर्ष तक शासन करने के उपरांत 1412 ईसवी में उसकी मृत्यु हो गई.

जहांदार शाह (1712 से 1713) :-  बहादुर शाह की मृत्यु के उपरांत उसके चार पुत्रों में उत्तराधिकार को लेकर युद्ध हुआ जिसमें उसका बड़ा पुत्र विजय हुआ वह जहांदार शाह के नाम से मुगल सिंहासन पर आसीन हुआ. वह एक अयोग्य एवं लोभी शासक था अतः बाद दीर्घकाल तक शासन ना कर सका 1713 में उसके भतीजे फर्रुखसियर ने उसका वध कर दिया.

फर्रुखसियर (1713 – 1719) :- यह केवल नाम मात्र का एक शासक था, वास्तविक सत्ता उसके प्रधानमंत्री अब्दुल्ला खां तथा प्रधान सेनापति सैयद अली खान के हाथ में रही. कुछ समय बाद सैयद बंधुओं ने मराठाओं के सहयोग से 1719 में फर्रुखसियर का वध करवा दिया तथा उसके स्थान पर रफी-उद-दरजात को मुगल सिंहासन पर बिठाया पर शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गई.

मुहम्मद शाह (1719-1748) :-  1719 ईस्वी में सैयद बंधुओं ने मुहम्मद शाह को मुगल गद्दी पर बिठाया यद्दपि मुहम्मद शाह सैयद बंधुओं के सहयोग से शासक बना किंतु वह शीघ्र ही सैयद बंधुओं के बढ़ते हुए हस्तक्षेप से तंग आ गया अतः सबसे पहले उसने सैयद बंधुओं की शक्ति का अंत किया. इसी के शासनकाल में फारस के शासक नादिरशाह ने 1739 में भारत पर आक्रमण कर दिया. स्वदेश जाते समय वह अपने साथ अपार धन संपत्ति मयूर सिंहासन बा कोहिनूर हीरा भी ले गया.

आलमगीर द्वितीय (1754 से 1758) :-  मुगल शासक आलमगीर द्वितीय नाम मात्र का शासक था. वास्तविक शक्ति वजीर गाजीउद्दीन फिरोज जंग के हाथ में थी. इसके शासनकाल में अहमद शाह अब्दाली का तीसरा आक्रमण हुआ, जिसने दिल्ली व मथुरा को खूब लूटा.



शाह आलम द्वितीय (1758 से 1806) :-  1758 में आलमगीर की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र अलीगौहर शाह आलम द्वितीय के नाम से सिंहासन पर विराजित हुआ. पानीपत का तृतीय युद्ध दक्षिण में अकाल तथा अंग्रेजों के विरुद्ध बक्सर का युद्ध किसके शासनकाल की मुख्य घटनाएं 1806 ईसवी में गुलाम कादर खा ने आलम की हत्या करवा दी.

अकबर द्वितीय (1806 से 1837) :-  आलम शाह द्वितीय की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र अकबर द्वितीय मुगल गद्दी पर आसीन हुआ. वह नाम मात्र का शासक था, इसके शासनकाल में अंग्रेजों की शक्ति में तीव्र गति से वृद्धि हुई 1837 ईस्वी में अकबर द्वितीय की मृत्यु हो गई.

बहादुर शाह द्वितीय जफर (1837 से 1857) :-  अकबर द्वितीय की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बहादुर शाह द्वितीय मुगल शासन की बागडोर को संभालने के लिए सिंहासन पर आसीन हुआ. वह अंतिम मुगल सम्राट था 18 57 ईसवी का विद्रोह इस के शासन काल की मुख्य घटना थी इस क्रांति का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया बाद में इसे बंदी बनाकर रंगून भेज दिया गया जहां 1862 में उसकी मृत्यु हो गई इसकी मृत्यु के पश्चात ही मुगल साम्राज्य का पूर्णता अंत हो गया.


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जर्मनी के राष्ट्रपति की भारत यात्रा का उद्देश्य एवं महत्व


जर्मनी के राष्ट्रपति की भारत यात्रा



जर्मनी के राष्ट्रपति डॉ. फ्रेंक वाल्टर श्टाइन्मायर 22-25 मार्च, 2018 के मध्य भारत की अधिकारिक यात्रा पर रहे. इस यात्रा पर उनके साथ सीईओ प्रतिनिधिमंडल, भारतविदों और मिडिया का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया इस यात्रा के दौरान जर्मनी के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय और अन्तराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा की गयी.

जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में यह श्टाइन्मायर की पहली भारत यात्रा थी. उनसे पहले जर्मनी के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉकिम गौक ने फरबरी, 2014 में भारत की यात्रा की थी. श्टाइन्मायर की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण थी, क्योकि 14 मार्च, 2018 को जर्मनी में नई सरकार के शपथ लेने के बाद यह राष्ट्रपति की पहली यात्रा थी. इस यात्रा के दौरान जर्मन राष्ट्रपति बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, सारनाथ दीनदयाल संकुल भी गये. इसके अलावा गंगा घाटों की सैर की और दशाश्व्मेघ घाट पर गंगा आरती में भाग लिया.

श्टाइन्मायर की पहले की यात्राएँ

डॉ. श्टाइन्मायर विदेश मंत्री और जर्मनी के वाइस – चांसलर के रूप में कई बार भारत का दौरा कर चुके है. वर्ष 2015 में वह चांसलर एंजेला मर्केल के साथ तीसरे अंतर्सरकारी परामर्श में भाग लेने आये थे, इससे पहले डॉ. श्टाइन्मायर सितम्बर, 2014 और नवम्बर, 2008 में भी भारत आ चुके है.

यात्रा का उद्देश्य

जर्मन राष्ट्रपति की इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय सम्बन्ध, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा से दोनों देशो के द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने के उपाय सुझाना था. जर्मनी के साथ भारत के सम्बन्ध द्विपक्षीय और वैश्विक सन्दर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सम्बन्धों में से एक है. इसके अलावा जर्मनी भारत में सातवाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है और यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है.

वर्ष 2000 में सामरिक भागीदारी स्थापित होने के बाद से दोनों पक्षों की सरकारों द्वारा इस सम्बन्ध को व्यापक और गहरा करने का प्रयास किया जाता रहा है. ये सम्बन्ध शिखर स्तर के द्विवार्षिक अंतर्सरकारी परामर्श (आईसीजी) में अभिव्यक्त है. कुछ चयनित देशों के साथ ही जर्मनी की भी भारत के साथ सामरिक भागीदारी (Stretagic Partnership) है. आईसीजी के चौथे संस्करण (जो 30 मई 2017 को बर्लिन में आयोजित हुआ) में विभिन्न क्षेत्रों में 12 सहयोग दस्तावेजो पर हस्ताक्षर किये गये थे भारत विश्व के उन चुनिन्दा देशों में से एक है जिनके साथ जर्मनी ने इस प्रकार का वार्ता तंत्र स्थापित किया हुआ है.

जर्मनी, यूरोप (लगभग 82.7 मिलियन-2016) में सबसे अधिक आबादी वाला देश है और महाद्वीप के केंद्र में स्थित होने के कारण स्वाभाविक रूप से यहपूर्वी और पश्चिमी यूरोप के बीच एक पुल की भूमिका निभाता है।यह औद्योगिक रूप से एक उन्नत राष्ट्र है और आधुनिक तकनीकी जानकारी के संयोजन के साथ एक विनिर्माण केंद्र बन गया है।यह अनुसंधान एवंविकासतथा कौशल काएक वैश्विक केंद्र और धुरी है।जर्मनी की ऐतिहासिक उथल-पुथल के बावजूद, यह सफलतापूर्वक यूरोप में विकास के वाहक के रूप में उभरा है।

भारत-जर्मनी में मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग रहा है। जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और विश्व में छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। जर्मनी के वैश्विक व्यापार में भारत को24वें स्थान पर रखा गया था।जर्मन विशेषज्ञता नवीकरणीय ऊर्जा, कौशल विकास, स्मार्ट सिटी, पानी और अपशिष्ट प्रबंधन, नदियों, रेलवे आदि की सफाईजैसे अधिकांश क्षेत्रों मेंभारत की मौजूदा प्राथमिकताओं से मेल खाती हैं,जो मूर्त, परिणाम-उन्मुख परियोजनाओ के लिए सहयोगी हो सकती हैं।

2016-17 में द्विपक्षीय व्यापार 18.76 अरब अमेरिकी डॉलर का था। 2016-17 में, भारत ने जर्मनीको 7.18 अरब अमरीकी डॉलर के सामान का निर्यात किया और जर्मनी से 11.58 अरब अमरीकी डॉलर की वस्तुओं का आयात किया गया।जर्मनी भारत में निवेश करने वाले सबसे बड़ेविदेशी प्रत्यक्ष निवेशकों में सातवें स्थान पर है। अप्रैल 2000 से दिसंबर 2017 तक भारत में संचयी जर्मन एफडीआई 10.71 अरब डॉलर या कुल एफडीआई का 2.91% है।

जर्मनी में 15,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं और करीब 800 जर्मन छात्र भारत में पढ़ रहे हैं या अपनी इंटर्नशिप कर रहे हैं। (2017)।जर्मनी में भारतीय नागरिकों की संख्या 108,000 है (जर्मनी का आंतरिक मंत्रालय, 2017) और जर्मनी में पीआईओ की संख्या लगभग 73,000 है, इनमेंमुख्य रूप से तकनीशियन, छोटे व्यवसायी/व्यापारी और नर्सें शामिल हैं।










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UPSC CSE (IAS) मुख्य परीक्षा में प्रभावी उत्तर कैसे लिखें ?

मुख्य परीक्षा में प्रभावी उत्तर कैसे लिखें ?

UPSC परीक्षा के लिए एक सीमित अवधि में संरचित और स्पष्ट सामग्री को ढूंढना, यह एक ऐसा कार्य है जो बहुत ही कठिन है। सटीक होने के लिए आप इतना विशाल पाठ्यक्रम को एक सीमित समय पर पूरा नहीं ज्ञात कर सकते हैं।



मन की ही समझदारी और सहजता आपकी परीक्षा हॉल में, एक सटीक उत्तर लिखने में आपकी मदद कर सकते हैं। इस लेख में, UPSC सिविल परीक्षा में प्रभावी उत्तर लिखने और मानसिक रूप से तैयार करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर बात करेंगे।

IAS मुख्य परीक्षा में प्रभावी उत्तर लिखने के लिए कुछ स्टडी टिप्स

अपने IAS परीक्षा में अच्छी सामग्री के निर्माण के लिए कुछ चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रुरत है। तो चलिए कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर नज़र डालते हैं “समाचार” पढ़ना और “दुनिया के मामलों” में विशाल ज्ञान प्राप्त करने के अलावा भी कुछ आवश्यक चीजे है जो आपको एक प्रभावी उत्तर लिखने में आपकी मदद कर सकते हैं।

IAS प्रारंभिक परीक्षा 2018 : फ्री पैकेज

यह पैकेज IAS प्रारंभिक परीक्षा 2018 को ध्यान में रखकर संकलित किया गया है। यह पैकेज अभ्यर्थियों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है तथा उनको प्रारंभिक परीक्षा के लिए रणनीत बनाने में सहायता प्रदान करता है तथा साथ ही साथ उनके आत्मविश्वास में वृद्धि भी करता है। इस पैकेज में 10 टेस्टों का संकलन किया गया है और प्रत्येक टेस्ट में 100 प्रश्न हैं | इसके लिए आप प्लेस्टोर से Parmanand Divya Jyoti NGO App डाउनलोड कर सकते है जो आपकी स्टडी में मददगार सिध्द होगा.

जानकारी अर्जित करना

एक सटीक उत्तर लिखने के लिए, जानकारी अर्जित करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। गणित सरल रहता है जब तक की आपको उसे हल करने का तरीका मालूम होता है या अगर आपको उसका सही उत्तर नहीं मालूम तो आप इसे सही तरीके से हल नहीं कर सकते हैं। कोई लेखन कौशल या माइंड ट्रिक्स आपको सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं करवा सकती है। 

अपने दिमाग को प्रशिक्षित और विकसित करने के लिए विभिन्न पुस्तको को पढ़ने की जरुरत है और उनमे से महत्वपूर्ण विषयो पर नोट बनाने की आवश्यकता है। हर जरुरी चीज़ के नोट्स बनाना एक और महत्वपूर्ण कार्य है जब आप UPSC की तैयारी कर रहे हैं। यह रिविज़न के समय में आपका महवत्पूर्ण समय भी बचाएगा।

स्वस्थ वार्तालाप

कभी-कभी अलग-अलग कारणों के चलते किसी विषय पर आपकी राय पक्षपाती बन जाती है। इस तरह की पक्षपाती राय पर आपको खुले दिमाग के साथ अपने दोस्तों और साथियों के साथ चर्चा करनी चाहिए। यह आपको लगता है कि आपका तर्क अन्य लोगों से अलग है परंतु एक स्वस्थ वार्तालाप से आपके मस्तिष्क में उस तर्क को समाहित करने में मदद करेगा। जो आप कही मिस कर रहे होंगे इससे आपको पता चल सकेगा की आपके पॉइंट्स में जो कमी है उसे कैसे ठीक किया जा सकता है।

स्वयं के शिक्षक बनें

एक अन्य तरीका यह भी है कि आप एक विशेष विषय पर ज्ञान अर्जित कर किसी और व्यक्ति को समझाए, जो उस विषय को समझना चाहता हो और उस विषय पर उसे ज्ञान नहीं।एक तथ्य यह भी है कि आप केवल किसी को तब ही सिखा सकते हैं जब आपको उस विषय से संबंधित पूर्ण जानकारी प्राप्त हो।

अपनी समझ को व्यापक बनाना

एक निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आप किसी भी पॉइंट पर गहन अध्ययन करें। इसके लिए अधिक से अधिक स्रोत से विषय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इकठ्ठा कर उन विषयो पर नोट बना लें। एक सटीक उत्तर लिखने के लिए अपने दिमाग का विस्तार करना एक अच्छा माध्यम है।

मौलिकता और एनॉलिटिक्स की जानकारी

प्रभावी उत्तर के बारे में यह ध्यान रहे कि वे पीस ऑफ केक यानि आसान कार्य नहीं है, उत्तर लिखने के लिए सिर्फ़ बुनयादी ज्ञान प्राप्त होना पर्याप्त नहीं है। अगर आप UPSC के पूर्व प्रश्न-पत्रों को देखेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि एक उत्तर के लिए कितनी बुद्धिशीलता और विषयों के विश्लेषण की आवश्यकता होती है।

UPSC CSE मुख्य परीक्षा में उत्तर लिखने के लिए सुझाव

हर एक प्रश्न के लिए उसके सभी तथ्यों और जानकारी का पता कर लेना ही काफी नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात को ध्यान में रखते हुए उत्तर इस प्रकार लिखें कि जैसे वह अपनी मुख्य बात स्पष्ट कर सकें और उत्तर को एक फ्रेम में ढाल सकें। जिससे वह उत्तर पर ध्यान आकर्षित कर सकें। यह एक उत्तर लिखने की सही शैली होती है। उत्तर को आसान सी भाषा, स्पष्ट रूप में लिखना चाहिए। यहां पर ऐसे ही कई अन्य सुझाव दिए गए हैं, जो आपको IAS मुख्य परीक्षा में प्रभावी उत्तर लिखने में आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते है उन सुझावों को:

पहले 2-3 मिनट में प्रश्न-पत्र को अच्छे से देख लें और उन प्रश्नों का चुनाव करें जो कि आपको आते हो इसे करने के बाद आप उन प्रश्नों को देखें जो अपने पहले छोड़ दिए थे इस बार आप कुछ विश्लेषण कर उन प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें।एक उम्मीदवार को अपने प्रवाभी उत्तर के लिए बिंदु प्रारूप अपनाना चाहिए अगर प्रश्न में पैरा प्रारूप की मांग की गई है, तो आपको उत्तर पैरा प्रारूप में ही देना चाहिए।सवाल में उन शब्दों का चुनाव करें जो आपके उत्तर को स्पष्ट करने में मदद कर सके। 

आप एक सरल और स्पष्ट भाषा में, संज्ञा और क्रियाओं का अनावश्यक प्रयोग किए बिना ही अपने उत्तर को पेश करना होगा।आप अपने उत्तर में सब/साइड हैडिंग को शामिल करने के लिए प्रयास करें। “साइड शीर्षक” परीक्षक की दृष्टि को केंद्रित करने में मदद कर सकेगा जो उन बिंदु या पैरा में लिखा है। इस महत्वपूर्ण अंक की ओर जो आप अपने उत्तर में देना चाहते हैं।भारतीय प्रशासनिक सेवा के जीएस पेपर -1, 2 और 3 के उत्तर में निष्कर्ष देना आवश्यक है। 

यह सबसे ज्यादा जरूरी पेपर -2 और पेपर- 3 में है। आप इसकी जगह इन निष्कर्ष शीर्षकों का भी इस्तेमाल कर सकते है जैसे कि ” वे फॉरवर्ड ” या ” फ्यूचर अहेड” ।जहां भी डॉयग्राम की जरुरत हो वह जरूर बनाए विशेष रूप से भारत और दुनिया के नक्शे में या भूगोल और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विषयों में आवश्यक है। फ्लो चार्ट और चित्र के सात आप एक संछिप्त स्वरूप में आपने उत्तर को पेश करने के लिए प्रयास कर सकते हैं।

इस प्रकार, यह महत्वपूर्ण है कि आप सवाल स्पष्ट रूप से पढ़े, विषय का विश्लेषण कर सके। अपने अध्ययन के माध्यम से आप जितना जानते हैं उसका उपयोग करें। उम्मीद है कि इस लेख से IAS मुख्य परीक्षा से संबंधित उपयोगी जानकारी आपको प्राप्त हो गई होगी। 

यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट कर के जरुर बताये और ब्लॉग को सब्सक्राइब जरुर करे 

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