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मगध साम्राज्य का उत्थान या मगध साम्राज्य की नीव व स्थापना, शासक - हर्यक वंश, अजातशत्रु, शिशुनाग वंश एवं नन्द वंश

 मगध साम्राज्य का उत्थान 



हर्यक वंश (545 से 412 ई. पू.) – मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक राजा बिम्बसार था जो हर्यक कुल से सम्बंधित था | बिम्बसार ने लिच्छवि गणराज्य के शासक चेटक की पुत्री चेलना के साथ तथा कोसल नरेश प्रसेनजित की बहन महाकोशला के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर अपनी स्थिति को सुद्रढ़ किया. म्हाकोशाला के साथ शादी में उसे दहेज़ में काशी का प्रदेश प्राप्त हुआ |

बिम्बसार ने सर्वप्रथम अंग के राजा ब्रह्दत्त पर आक्रमण कर उसे मार डाला तथा अंग को मगध साम्राज्य में मिला लिया बिम्बसार ने 52 वर्ष तक राज्य किया बौध ग्रंथों के अनुसार बिम्बसार की मृत्यु अपने महत्वकांक्षी पुत्र आजातशत्रु के हाथों हुई |

आजातशत्रु (493 – 462 ई.पू.) – ने आरम्भ से ही विस्तार की निति अपनाई. बिम्बसार के प्रति अजातशत्रु के व्यव्हार से क्षुब्ध होकर कोशल नरेश प्रसेनजित ने काशी को मगध से वापस ले लिया जिसके बाद मगध का कोसल से युध्द हुआ , पहले तो कोसल नरेश की हार हुई किन्तु कुछ समय बाद दोनों पक्षों में संधि हो गई और अजातशत्रु को काशी का प्रदेश मिल गया |

अजातशत्रु के पश्चात् उसका पुत्र उद्यभद्र या उदयिन सम्राट बना इसके काल में पाटलिपुत्र को मगध साम्राज्य की राजधानी बनाया गया उदय भद्र की मृत्यु के पश्चात् इसके तीन उत्तराधिकारी हुए अनिरुध्द, मुण्डक तथा दर्शक, जो  की निर्बल शासक हुए |



शिशुनाग वंश (412 – 344 ई.पू.) – दर्शक के समय उत्त्पन्न अराजकता से असंतुष्ट होकर मगध की जनता ने विद्रोह कर दिया तथा शिशुनाग को गद्दी पर बैठाया जिसने शिशुनाग वंश की स्थापना की. शिशुनाग की अवन्ती विजय उसकी महान सफलता थी अवन्ती को मगध साम्राज्य में मिला लेने के बाद इसकी सीमा मालवा तक जा पहुंची | शिशुनाग ने मगध की राजधानी वैशाली में स्थापित किया. शिशुनाग के पश्चात् उसका पुत्र कालाशोक सम्राट बना इसके शासनकाल में वैशाली में बौध्द धर्म की द्वितीय संगीति आयोगित की गयी | नन्दिवर्धन या महानंदीन शिशुनाग वंश का अंतिम शासक हुआ |



नंदवंश (344 -324 ई.पू.) – मगध की सत्ता शिशुनाग वंश के पश्चात् नन्द वंश के हाथ में आ गयी नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनंद था | नन्द वंश ने बिम्बसार तथा अजातशत्रु द्वारा डाली गयी नीव पर प्रथम वृहत मगध साम्राज्य की स्थापना की इन्होने पाटलिपुत्र को समस्त उत्तरी भारत का केंद्र बना दिया इस वंश का अंतिम शासक घनानंद था जिसको मारकर चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश की स्थापना की |  
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