Study Juction

Free Notes & Articles In Hindi

ऐतिहासिक तथ्य - प्राचीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्य भाग - 1

प्राचीन इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्य भाग - 1


इतिहास का विभाजन प्रागैतिहास (Pre-History), आध्य इतिहास (Proto-History) तथा इतिहास (History) तीन भागों में किया गया है |

‘प्रागैतिहास’ से तात्पर्य उस काल से है जब मनुष्य ने लिपि अथवा लेखन कला का विकास नही किया था मानव सभ्यता के आदिकाल को पाषाण निर्मित उपकरणों पर निर्भर करता था |

लिपि के स्पष्ट प्रमाण सिन्धु में मिल जाते है, किन्तु उसका वाचन अभी तक संभव नही हो पाया है वैदिक काल में शिक्षा पध्दति मौखिक थी अतः सिन्धु तथा वैदिक सभ्यता को सूचित करने के लिए प्रागैतिहास के स्थान पर ‘आध्य इतिहास’ शब्द का प्रयोग किया जाता है |

भारत में पाषाण कालीन सभ्यता का अनुसन्धान सर्वप्रथम 1863 ई. में प्रारंभ हुआ |

भारतीय पाषाण कालीन संस्कृति को तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है |
पूर्व या पुरा पाषाणकाल
मध्य पाषाणकाल
नवपाषाण काल

पूर्वपाषाण काल को उपकरणों में भिन्नता के आधार पर तीन कालो में विभाजित किया जाता है – 
निम्न पूर्व पाषाणकाल
मध्य पूर्व पाषाणकाल
उच्च पूर्व पाषाणकाल

पुरास्थल – उस स्थान को कहते है, जहाँ औजार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते है |

सर्वप्रथम 1921 में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा की खोज की गयी तथा 1922 में राखलदास बनर्जी द्वारा मोहनजोदड़ो का उत्खनन किया गया |

सैन्धव सभ्यता 2500 ई.पू. के आसपास अपनी पूर्ण विकसित अवस्था में प्रकट होती है |

सैन्धव सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी ये नगर आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब और सिन्धु प्रान्त तथा भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब प्रान्त में मिले है |

मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा प्रमुख नगर है मोहनजोदड़ो से एक वृहत स्नानागार, अन्नागार, पुरोहित आवास, सभा भवन आदि प्राप्त हुए है |

हड़प्पा से विशाल टीले, कर्मचारियों का आवास और शवास्थान पाया गया है |

कालीबंगा से अग्निकुंड मिले है |

धौलावीरा (गुजरात) तीन भागों-दुर्ग (Citadel), मध्यम नगर (Middle Town) तथा निचला नगर (Lower Town) में विभाजित था | धौलावीरा से सिन्धु सभ्यता की लिपि प्राप्त हुई है |

लोथल का बड़ा तालाब जो बंदरगाह रहा होगा, जहाँ समुद्र के रस्ते आने वाली नावें रूकती थी संभवतः यहाँ पर माल चढ़ाया – उतारा जाता होगा |

गुजरात के कच्छ जिले में स्थित सुरकोटदा से नियमित आवास के साक्ष्य मिलते है |

सैन्धव सभ्यता के अन्य नगर देसलपुर, कुंतासी, रोजदी, दैमाबाद हुलास, आलमगीरपुर, मांडा आदि थे |

सैन्धव निवासियों का सामाजिक जीवन उन्नत था तत्कालीन समाज को चार वर्गों बांटा जा सकता है –विद्वान वर्ग, योद्धा वर्ग, व्यापारी व शिल्पकार और श्रमिक

सैन्धव लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे. गेहूं, जौं, दालें, मटर, धान, तिल, आदि उनके प्रमुख आहार थे |

सैन्धव निवासी कृषि कर्म के साथ व्यापार भी करते थे |

सैन्धव नगरों की खुदाई में किसी भी मंदिर, समाधी के अवशेष नही मिले है. सिन्धु निवासी मुख्यतः मातृ देवी की पूजा करते थे |

सिन्धु निवासी मुद्राओं और मुहरों का प्रयोग करते थे. पाशुपति शिव की एक मुहर मोहन्जोदारो से मिली है इसमें त्रिमुखी शिव को एक चौकी पर पद्मासन की मुद्रा में बैठे हुए दिखाया गया है. मुहरों पर मनुष्य, पशु, वृक्ष की आकृतियाँ उत्कीर्ण की गई है |

सिन्धु घाटी की सभ्यता कांस्यकालीन है. लोहे का सर्वप्रथम स्पष्ट संकेत उत्तर वैदिक काल (ई.प. 1000 – 600) के ग्रंथों में मिलता है |
Share:

No comments:

Post a Comment

Recent Posts

Google Ads


Definition List

Popular Posts

Search

Labels

Blog Archive

Followers