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मुगलकाल का इतिहास - अकबर, जहांगीर तथा नूरजहाँ


मुगलकाल का इतिहास 


अकबर – भारतीय इतिहास में अकबर महान शासकों में स्थान रखता है उसका जन्म 1542 को अमरकोट के राजा वीरसाल के महल में हुआ. हुमायूं की मृत्यु के पश्चात् 1556 में उसे दिल्ली की गद्दी पर बैठाकर उसका राज्याभिषेक किया गया. बैरमखां उसका संरक्षक था. 1556 में पानीपत की द्वितीय लड़ाई में उसने हेमू को परास्त किया.
1556 से 1560 की अवधि बैरमखां के प्रभुत्व का समय था, जबकि 1560 से 1564 तक पर्दा सरकार थी. 1564 के बाद ही अकबर सत्ता का सम्पूर्ण उपयोग करने की स्थिति में आ पाया उसने 1563 में हिन्दुओं पर से तीर्थ यात्रा कर हटाया.

1564 में उसने हिन्दुओं पर से जजिया कर हटाकर एतिहासिक कार्य किया. अकबर ने सहिष्णु धार्मिक नीति को चलाया. 1575 में इबादतखाना की स्थापना की, जहाँ धार्मिक वाद-विवाद आयोजित किया जाता था. 1576 में उसके नवरत्न में से एक मानसिंह ने हल्दी घाटी के मैदान में मेवाड़ के महाराणा प्रताप को परास्त किया. 1582 में अकबर ने ‘दींन-ए-इलाही’ धर्म चलाया. 1601 में अकबर की अंतिम विजय असीरगढ़ पर थी. 1605 में उसकी मृत्यु हो गयी. अकबर के दरबार में कुल 9 रत्न थे जो की उसके दरबार को सुशोभित करते थे – बीरबल, अबुल फजल, टोडरमल, फैजी, भगवानदास, राजा मानसिंह, अब्दुर्रहीम खानखाना, हकीम हकाम व मुल्ला दो प्याजा ये सभी अकबर के 9 रत्न थे.

जहांगीर – जहांगीर का जन्म 1569 में फतेहपुर सीकरी में हुआ था. इसकी माँ जयपुर की राजकुमारी मरीयम थी. अकबर की म्रत्यु के पूर्व ही 1599 में जहांगीर (पारिवारिक नाम सलीम) ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया इसके विद्रोह काल में अकबर ने सलीम के पुत्र खुसरो को उतराधिकारी बनाने का निश्चय किया, परन्तु 1604 में सलीम को क्षमा कर दिया गया. अक्टूबर 1605 में अकबर की मृत्यु के पश्चात सलीम गद्दी पर बैठा और नूरदीन मुहम्मद जन्हागीर ने गाजी की उपाधि धारण की. जहाँगीर द्वारा यमुना के किनारे पर एक स्थान से आगरा क्किला के शाह्बुर्ज तक घंटियाँ लगी हुई एक स्वर्ण जंजीर लगा दी जिससे न्याय प्रार्थी घंटी बजाकर सीधे ही सम्राट से न्याय याचना कर सकता था. जहांगीर के पुत्र खुसरो द्वारा विद्रोह करने व सिक्खों के गुरु अर्जुनदेव द्वारा आशीर्वाद दिए जाने पर कुपित होकर जहांगीर ने गुरु अर्जुनदेव को कैद कर लिया तथा मृत्यु दंड दे दिया.

नूरजहाँ – नूरजहाँ एक अफगान गियासबेग की पुत्री थी जो अकबर के काल में भारत आया था. जहाँगीर ने 1611 में नूरजहाँ से विवाह किया. नूरजहाँ अनिद्ध सौन्दर्य से युक्त एक मेधावी महिला थी. वह फारसी में पद्य रचना भी करती थी. नूरजहाँ की माँ अस्मत बेगम गुलाब से इत्र निकालने की विधि की आविष्क्त्री मानी जाती हा. नूरजहाँ ने राजदरबार में एक गुट स्थापित कर लिया था इस गुट में जहाँगीर का पुत्र ख़ुर्रम (शाहजहाँ) भी था.
सन 1627 को जहाँगीर की मृत्यु हो गयी उसे लाहौर के निकट दफनाया गया. जहाँगीर के शासनकाल में चित्रकला अपने चरम सीमा पर थी. अंग्रेज यात्री हाकिंस व थामस रो जहाँगीर के दरबार में आये थे.

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