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लोदी वंश की स्थापना तथा पतन


सैय्यद वंश

ख़िज्र खां ने सैय्यद वंश की स्थापना की इसने 1414 ई से 1421 तक शासन किया ख़िज्र खां ने न तो कभी शाह की उपाधि धारण की और न ही अपने नाम के सिक्के चलाये
 मुबारकशाह – 1421 -1434 ई –में यह ख़िज्र खां का उत्तराधिकारी था उसने सर्वप्रथम शाह की उपाधि धारण की व अपने नाम के सिक्के चलाये इसके बाद दो शासक मुहम्मदशाह शाह 1434 – 1444 ई और अलाउदीन आलमशाह 1444 -1451 अयोग्य थे अलाउदीन आलमशाह द्वारा अपनी स्वेच्छा से दिल्ली का पद छोड़ देने के बाद 1451 ई में बहलोल लोदी ने उस पर अपना अधिकार कर लिया तथा लोदिवंश की स्थापना की.

लोदी वंश - बहलोल खां 1451 -1489 –बहलोल खां अफगानों की लोदी जाति का था  उसने दिल्ली में प्रथम अफगान साम्राज्य की नीव डाली लगभग 38 वर्ष शासन करने पश्चात् 1489 में उसकी मृत्यु हो गई  
                                                
सिकन्दर लोदी - 1489 -1517 –बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद उसका दूसरा पुत्र निजाम खां 17 जुलाई 1489 को सुल्तान सिकन्दर शाह की उपाधि धारण कर सुल्तान घोषित किया गया इसने न्याय प्रबंध करने में विशेष रूचि दिखाई उसने भूमि की माप करायी और उसने आधार पर भूमि क्रर नियत करने का आदेश दिया इसके उसने प्रमाणिक गज चलाया जो प्राय 30 इंच का होता था यह सिकंदरी गज कहलाया उसने 1506 में आगरा नगर का निर्माण करवाया 21 नवम्बर 1517 को उसकी मृत्यु हो गई.

इब्राहीम लोदी (1517-1526 ई.) – सिकंदर की म्रत्यु के पश्चात् उसका ज्येष्ठ पुत्र इब्राहीम लोदी 21 नवम्बर 1517 ई. को आगरा में गद्दी पर बैठा. 20 अप्रैल 1526 ई. को पानीपत के मैदान में उसका बाबर से युध्द हुआ जिसमे इब्राहीम लोदी की हार हुई और लोदी वंश समाप्त हो गया. इस तरह तरह कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक था तथा इब्राहीम लोदी दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक था.

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