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मुग़लकाल का इतिहास - शाहजहाँ तथा औरंगजेब


 मुग़लकाल का इतिहास 


शाहजहाँ – शाहजहाँ का जन्म लाहौर में 1592 ई. को मारवाड़ के राजा उदयसिंह की पुत्री जगत गुसाई के गर्भ से हुआ. 1628 ई. में आगरा के राजसिंहासन पर उसका राज्यारोहण हुआ. शाहजहाँ का विवाह आसफ खां की पुत्री अर्जुमंद बानू बेगम से हुआ. विवाह के पश्चात शाहजहाँ ने उसे मुमताज महल की उपाधि से अलंकृत किया.

शाहजहाँ ने दक्षिण भारत में सर्वप्रथम अहमदनगर पर आक्रमण किया तथा 1633 ई. में उसने अहमदनगर को मुग़ल साम्राज्य में विलीन कर दिया. शाहजहाँ के कूटनीतिक प्रयासों से 1639 ई. में कंधार पुनः मुगलों के अधिकार में आ गया था. शाहजहाँ ने 1646 ई. के मध्य एशिया की प्राप्ति का प्रयत्न किया परन्तु अपयश व विफलता ही उसके हाथ लगी.
शाहजहाँ के चार पुत्र थे – दारा, शुजा, औरंगजेब व मुराद. इन सबमे से शाहजहाँ ने अपने बड़े पुत्र दारा को उत्तराधिकारी बनाने का फैसला किया, लेकिन शाहजहाँ के शासन के अंतिम दिनों में उसके चारो पुत्रों मर संघर्ष शुरू हो गया जिसमे औरंगजेब ने अपने पिता को कैद कर लिया तथा अपने भाईयों को परास्त कर सत्ता का अपना अधिकार कर लिया. 1666 ई. में शाहजहाँ की आगरा के किले में मृत्यु हुयी. उसके द्वारा बनाई गई इमारतों में आगरा का ताज महल तथा दिल्ली का लालकिला प्रमुख है. उसका शासनकाल मुगलकाल का स्वर्णका

औरंगजेब (1658 ई. 1707 ई.) – मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेव का जन्म 1618 ई. में उज्जैन के निकट दोहद
नामक स्थान पर हुआ था. उत्तराधिकारी युध्द में विजय प्राप्त करने के पश्चात् 21 जुलाई 1658 ई. को औरंगजेब आगरा के सिंहासन पर बैठा. सम्राट बनने के उपरान्त औरंगजेब ने जनता के आर्थिक कष्टों के निवारण हेतु राहदारी (आंतरिक पारगमन शुल्क) और पानदारी (व्यापारिक चुन्गियां) आदि प्रमुख ‘आबवाबों’ (स्थानीय कर) को समाप्त कर दिया था.

1666 ई. में औरंगजेब क निर्देश पर शाईस्ता खां ने पुर्तगालियों को नियंत्रित करते हुए सोनद्वीप (बंगाल की खाड़ी में स्थित एक द्वीप) पर अधिकार कर लिया 1689 ई. को शम्भाजी (द्वितीय मराठा छत्रपति) का कत्ल करके औरंगजेब ने शिवाजी द्वारा स्थापित मराठा राज्य को मुग़ल साम्राज्य के अधीन कर लिया. इस प्रकार 1689 ई. तक मुग़ल साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर था, लेकिन निरंतर भागदौड़ व युध्द के कारण वह 1705 ई. में बीमार पद गया अंततः 1707 में उसकी मृत्यु हो गयी. उसके शासनकाल में दरबार में नृत्य व संगीत बंद कर दिया गया था. उसने हिन्दुओ पर तीर्थ कर लगाया तथा सती-प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया उसके शासनकाल में 1668 ई. से हिन्दू त्यौहारों को मनाये जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया इसके अतिरिक्त उसने हिन्दुओं पर पुनः जजिया कर लगाया तथा सिक्खों के नवें गुरु की हत्या करवाई.

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