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जर्मनी के राष्ट्रपति की भारत यात्रा का उद्देश्य एवं महत्व


जर्मनी के राष्ट्रपति की भारत यात्रा



जर्मनी के राष्ट्रपति डॉ. फ्रेंक वाल्टर श्टाइन्मायर 22-25 मार्च, 2018 के मध्य भारत की अधिकारिक यात्रा पर रहे. इस यात्रा पर उनके साथ सीईओ प्रतिनिधिमंडल, भारतविदों और मिडिया का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया इस यात्रा के दौरान जर्मनी के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय और अन्तराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा की गयी.

जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में यह श्टाइन्मायर की पहली भारत यात्रा थी. उनसे पहले जर्मनी के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉकिम गौक ने फरबरी, 2014 में भारत की यात्रा की थी. श्टाइन्मायर की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण थी, क्योकि 14 मार्च, 2018 को जर्मनी में नई सरकार के शपथ लेने के बाद यह राष्ट्रपति की पहली यात्रा थी. इस यात्रा के दौरान जर्मन राष्ट्रपति बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, सारनाथ दीनदयाल संकुल भी गये. इसके अलावा गंगा घाटों की सैर की और दशाश्व्मेघ घाट पर गंगा आरती में भाग लिया.

श्टाइन्मायर की पहले की यात्राएँ

डॉ. श्टाइन्मायर विदेश मंत्री और जर्मनी के वाइस – चांसलर के रूप में कई बार भारत का दौरा कर चुके है. वर्ष 2015 में वह चांसलर एंजेला मर्केल के साथ तीसरे अंतर्सरकारी परामर्श में भाग लेने आये थे, इससे पहले डॉ. श्टाइन्मायर सितम्बर, 2014 और नवम्बर, 2008 में भी भारत आ चुके है.

यात्रा का उद्देश्य

जर्मन राष्ट्रपति की इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय सम्बन्ध, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा से दोनों देशो के द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने के उपाय सुझाना था. जर्मनी के साथ भारत के सम्बन्ध द्विपक्षीय और वैश्विक सन्दर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सम्बन्धों में से एक है. इसके अलावा जर्मनी भारत में सातवाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है और यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है.

वर्ष 2000 में सामरिक भागीदारी स्थापित होने के बाद से दोनों पक्षों की सरकारों द्वारा इस सम्बन्ध को व्यापक और गहरा करने का प्रयास किया जाता रहा है. ये सम्बन्ध शिखर स्तर के द्विवार्षिक अंतर्सरकारी परामर्श (आईसीजी) में अभिव्यक्त है. कुछ चयनित देशों के साथ ही जर्मनी की भी भारत के साथ सामरिक भागीदारी (Stretagic Partnership) है. आईसीजी के चौथे संस्करण (जो 30 मई 2017 को बर्लिन में आयोजित हुआ) में विभिन्न क्षेत्रों में 12 सहयोग दस्तावेजो पर हस्ताक्षर किये गये थे भारत विश्व के उन चुनिन्दा देशों में से एक है जिनके साथ जर्मनी ने इस प्रकार का वार्ता तंत्र स्थापित किया हुआ है.

जर्मनी, यूरोप (लगभग 82.7 मिलियन-2016) में सबसे अधिक आबादी वाला देश है और महाद्वीप के केंद्र में स्थित होने के कारण स्वाभाविक रूप से यहपूर्वी और पश्चिमी यूरोप के बीच एक पुल की भूमिका निभाता है।यह औद्योगिक रूप से एक उन्नत राष्ट्र है और आधुनिक तकनीकी जानकारी के संयोजन के साथ एक विनिर्माण केंद्र बन गया है।यह अनुसंधान एवंविकासतथा कौशल काएक वैश्विक केंद्र और धुरी है।जर्मनी की ऐतिहासिक उथल-पुथल के बावजूद, यह सफलतापूर्वक यूरोप में विकास के वाहक के रूप में उभरा है।

भारत-जर्मनी में मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग रहा है। जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और विश्व में छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। जर्मनी के वैश्विक व्यापार में भारत को24वें स्थान पर रखा गया था।जर्मन विशेषज्ञता नवीकरणीय ऊर्जा, कौशल विकास, स्मार्ट सिटी, पानी और अपशिष्ट प्रबंधन, नदियों, रेलवे आदि की सफाईजैसे अधिकांश क्षेत्रों मेंभारत की मौजूदा प्राथमिकताओं से मेल खाती हैं,जो मूर्त, परिणाम-उन्मुख परियोजनाओ के लिए सहयोगी हो सकती हैं।

2016-17 में द्विपक्षीय व्यापार 18.76 अरब अमेरिकी डॉलर का था। 2016-17 में, भारत ने जर्मनीको 7.18 अरब अमरीकी डॉलर के सामान का निर्यात किया और जर्मनी से 11.58 अरब अमरीकी डॉलर की वस्तुओं का आयात किया गया।जर्मनी भारत में निवेश करने वाले सबसे बड़ेविदेशी प्रत्यक्ष निवेशकों में सातवें स्थान पर है। अप्रैल 2000 से दिसंबर 2017 तक भारत में संचयी जर्मन एफडीआई 10.71 अरब डॉलर या कुल एफडीआई का 2.91% है।

जर्मनी में 15,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं और करीब 800 जर्मन छात्र भारत में पढ़ रहे हैं या अपनी इंटर्नशिप कर रहे हैं। (2017)।जर्मनी में भारतीय नागरिकों की संख्या 108,000 है (जर्मनी का आंतरिक मंत्रालय, 2017) और जर्मनी में पीआईओ की संख्या लगभग 73,000 है, इनमेंमुख्य रूप से तकनीशियन, छोटे व्यवसायी/व्यापारी और नर्सें शामिल हैं।










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