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भारत में यूरोपियों का आगमन - पुर्तगाली तथा डचो का आगमन

भारत में यूरोपियों का आगमन

पुर्तगालियों का भारत में आगमन

पुर्तगाल के वास्कोडिगामा ने 1498 ईस्वी में यूरोप से भारत का एक नया और समुद्री रास्ता ढूंढ निकाला, वह आशा अंतरीप (केक ऑफ गुड होप) होता हुआ 17 मई 1498  ईसवी को भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट पहुंचा. इस तरह सर्वप्रथम भारत में पुर्तगाली पहुंचे. केबैरल ने कालीकट तथा कोचीन में पुर्तगाली कारखाने खोलें. 1502 ईसवी में वास्कोडिगामा पुनः भारत आया और कन्नान्नौर में  एक कारखाने की स्थापना की.

1505 ईसवी में पुर्तगाली पश्चिमी तट पर पहुंच गए समुद्री मार्ग पर पुर्तगालियों का पूर्ण अधिकार हो गया फ्रांसिसको आलमिडा भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर था, वह 1505 से 1509 ईस्वी तक भारत में रहा 1509 में उसकी हत्या कर दी गई फ्रांसिस्को अल्मीडा का उत्तराधिकारी अल्फांसो डी अलबुककर्क था 1509 में वह भारत का गवर्नर नियुक्त किया गया. 1509 से 1515 ईसवी तक रहा. 



इस दौरान पुर्तगाली शक्ति का विस्तार हुआ उसने 1510 ईस्वी में गोवा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया और पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बनाया. 1515 ईसवी में अलबुककर्क की मृत्यु हो गई. उसके उत्तराधिकारियों ने भी उसकी नीति का अनुसरण किया और धीरे-धीरे मालाबार के पश्चिमी तट गोवा, दमन-दीव, सलकोट और बेसिन पर उन्होंने कब्जा कर लिया.

पुर्तगाली भारत में साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे पर सफलता नहीं मिली अंत में उन्हें पास गोवा और दमनदीप के अलावा कुछ नहीं रहा जहां वे 1962 तक रहे.

डचों का आगमन - पुर्तगालियों के बाद हॉलेंड निवासी डच भारत आए 1602 ईसवी में यूनाइटेड डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की उनकी रुचि विशेषता: पूर्वी देशों के मसालों के व्यापार में थी उन्होंने बंगाल बिहार तथा उड़ीसा में व्यापारिक कोठीयां (फैक्ट्री ) खोली. महत्वपूर्ण कोठियां मसलीपट्टनम, आंध्र प्रदेश, पुलिकट, सूरत, चिनसुरा, कासिम बाज़ार, बड़ा नगर, पटना, बालासोर, नागपट्टनम, अहमदाबाद , आगरा और कोचीन में खुली पर धीरे-धीरे अंग्रेजों ने उनके अधिकृत प्रदेशों पर अपना अधिकार कर लिया और 1759 ईस्वी तक डचो का प्रभाव समाप्त हो गया.




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