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मुग़लकाल का इतिहास - शाहजहाँ तथा औरंगजेब
मुगलकाल का इतिहास - अकबर, जहांगीर तथा नूरजहाँ
मुग़ल वंश - मुगलकाल की शुरुआत - बाबर, हुमायूँ तथा शेरशाह
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लोदी वंश की स्थापना तथा पतन
Neno Technology - नेनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता
चिकित्सा के क्षेत्र में :-
नेनो टेक्नोलॉजी का वर्तमान समय में सर्वाधिक प्रभाव चिकित्सा क्षेत्र में ही देखने को मिल रहा है । वैज्ञानिक इस तकनीक का उपयोग कर गोल्ड पार्टिकल बैक्टीरिया ट्यूमर सेल्स का निर्माण कर रहे है, जो कैंसर की समूची प्रक्रिया को बदल देगी । इससे ट्यूमर के खतरनाक तत्त्व को ही नष्ट कर दिया जाता है । इसके आलावा विशेषज्ञ ऐसी कलाई घडी के रूप में इस तकनीक के विकास में लगे है, जिसके माध्यम से आप सहज ही अपने शरीर की तमाम बिमारियों का पता सरलता से लगा पाएंगे । रोग उत्त्पन्न होते ही उसका पता लग जाने और इलाज हो जाने से व्यक्ति की औसत आयु में वृद्धि होना स्वाभाविक है ।
कंप्यूटर के क्षेत्र में :
- इस पद्धति का प्रभाव कंप्यूटर के क्षेत्र में भी काफो क्रन्तिकारी परिवर्तन लाया है । सुपर कंप्यूटर का नाम तो शायद अपने सुना ही होगा । यह नेनो टेक्नोलॉजी का ही एक अद्भुत परिणाम है । बस इसके लिए आपको कंप्यूटर में कनेक्टर के रूप में नैनोवायर का उपयोग करना होता है । इस वायर के लगते ही कंप्यूटर की मेमोरी १० लाख गुना ज्यादा बाद जाती है । साथ ही इस तकनीक का इस्तेमाल अब कंप्यूटर की चिप के सर्किट निर्माण में भी किया जा रहा है । जिससे की अन्य चिप के मुकाबले इससे अच्छेपरिणाम प्राप्त हो । इस तकनीक के उदय से कंप्यूटर जगत को एक नई गति मिली ।
उद्योग में :-
इस क्षेत्र में यह तकनीक बहुत ही लाभप्रद है जैसे टिटेनियम डाई ऑक्साइड पेंट । यदि इसे नेनो मटेरियल बनाकर पेंट में मिला दिया जाये तो उसकी चमक और हार्डनेस और भी अधिक बढ़ जाएगी । इस तरह से तैयार पेंट अंता सामान्य पेंट के मुकाबले ज्यादा दिन चलता है । इसके आलावा कपडा उद्योग में भी इस पद्धति का इस्तेमाल कर नैनोबेस्ड क्लोथ्स बनाये जा रहे है । इस तकनीक के उपयोग से तैयार कपडे पसीना आसानी से सोख लेते है । इतना ही नहीं, यह कपडा बाजार में उपलब्ध अन्य कपड़ों के मुकाबले कहि अधिक टिकाऊ है
नैनो टेक्नोलॉजी क्या है ? यह काम कैसे करती है
नैनो टेक्नोलॉजी
प्रौद्योगिकी में नेनो टेक्नोलॉजी को एक नए युग के सूत्रपात के रूप में देखा जा रहा है | नेनो टेक्नोलॉजी अतिसूक्ष्म दुनिया है i, जिसका दायरा एक मीटर के अरबवें हिस्से या उससे भी छोटा है | चौंकाने वाली बात यह है की जितनी ज्यादा यह सुक्ष्म या उतनी ही ज्यादा संभावनाएं अपने में समेटे हुए | नेनो टेक्नोलॉजी से बने अनूठे उत्पादों का दायरा लगातार बढ़ाता जा रहा है |नेनो टेक्नोलॉजी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द नेनो से हुए है जिसका सीधा अर्थ होता है बौना या शुक्ष्मा |
यह नाम जापान के वैज्ञानिक नौरिया तनिगुगुची ने वर्ष 1976 में दिया था | वर्ष 1986 में नेनो टेक्नोलॉजी के प्रति वैज्ञानिक वर्ग की रूचि उस समय अचानक बढ़ गयी जब जर्मनी के वैज्ञानिक गार्ड बिनिग व् स्विट्जरलैंड के हेनरिच रोरर के संयुक्त प्रयास से तैयार “स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप ” बना | यह वही माइक्रोस्कोप था जिसकी मदद से वैज्ञानिक पहली बार अणु और परमाणु को सहजता से देख पाए | इस अविष्कार के लिए इन वैज्ञानिकों को नोबल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था |
तो नेनो तेचोनोलोग्य एक ऐसी यूनिट है जो एक मीटर के अरब हिस्से के बराबर होती है | 1 से लेकर 100 नेनो मीटर को ‘नैनोडमैन ’ कहा जाता है | जब अणु और परमाणु नेनो स्केटर को प्रभाबित करते हैं तो इनमे नवीन बदलाव होने आरम्भ हो जाते है | ये बदलाव अद्भुत होते है , जिसमे वस्तु के मूल गुण तक बदल जाते है | इस बदलाव की तकनीक को ही नेनो टेक्नोलॉजी कहा जाता है |
नेनो टेक्नोलॉजी काम कैसे करती है :-
नेनो टेक्नोलॉजी के तहत मटेरियल का साइज छोटा कर उसे नेनो डोमेन बना लिया जाता है | ऐसा करने पर उस पदार्थ के गुण – इलेक्ट्रिकल , मेकेनिकल , थर्मल ऑप्टिकल हर एक स्तर पर बदलना शुरू हो जाते है | यह एक नया विज्ञानं है जो की बेहद आश्चर्यचकित कर देने वाले परिणाम देता है | जैसे – जैसे परमाणु का साइज छोटा होगा उसके अंदर दूसरी धातुओं व पदार्थों में आपसी प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ जाएगी |
इस विशेषता का इस्तेमाल कर नेनो मटेरियल से एकदम नया उत्पाद आसानी से तैयार किया जा सकता है | नेनो मटेरियल तैयार करने के लिए हमेशा दो पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता है – पहली बड़े से छोटा करने की पद्धति और दूसरी छोटे से बड़े करने की तकनीक | इस तकनीक की मदद से एक आश्चर्य चकित कर देने वाला नेनो मटेरियल तैयार किया जा सकता है |
अगर देखा जाए तो संसार की हर चीज का निर्माण अणु से हुआ है | हर वस्तु की प्रकृति अब अणु के साथ जुडी विभिन्न रासायनिक वस्तुओं की प्रकृति पर निर्भर करती है | यह प्रकृति बार – बार बदल सकती है , बस जरुरत है तो आपसी प्रतिक्रिया में कुछ मामूली फेरबदल करने की | नेनो पदार्थ अणु से भी छोटा होता है इसीलिए इसकी आकर्षण क्षमता बहुत अधिक होती है | यही वजह है की नेनो मटेरियल बेहद हलके , मजबूत , पारदर्शी एवं अपने मूल मटेरियल से पूरी तरह अलग होते है | एक नेनो मीटर का साइज मानव के बाल के 50 हजारवें हिस्से के बराबर होता है |
तुगलक वंश के शासक एवं उनका शासनकाल - गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक तथा फिरोज तुगलक
लोगो ने जाली सिक्के बनाने शुरू कर दिए निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी. मोरक्को का इब्नबतूता जो लगभग 1333 में भारत आया था उसे सुलतान ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया. थट्टा की ओर जाते हुए 20 मार्च 1351 को सुलतान की मृत्यु हो गयी. उसके मरने पर इतिहासकार बंदायूनी ने कहा कि “सुलतान को उसकी प्रजा से और प्रजा को अपने सुलतान से मुक्ति मिल गयी|”
सुलतान ने कई नहरों का निर्माण करवाया जिसमे हिसार फिरोजा की नहर महत्वपूर्ण थी. फिरोज तुगलक ने भूमि को ठेके पर देने की प्रथा का विस्तार किया. उसने फिरोजाबाद, दिल्ली में कोटला फिरोजशाह, फतेहाबाद, हिसार, जौनपुर और फिरोजपुर आदि नगरों की स्थापना की.
कम्प्यूटर की बूटिंग प्रक्रिया क्या होती है ?
कम्पुटर मेमोरी क्या है ? यह कितने प्रकार की होती है ? - जाने प्राथमिक व द्वितीयक मेमोरी के बारे में विस्तार से
कंप्यूटर मेमोरी
ई-वाणिज्य को लेकर ब्रिक्स देशो का रुख तथा जी.एस.टी. में ई-वाणिज्य
जी.एस.टी. में ई-वाणिज्य
मॉडेम (Modem) क्या है ? इसका कंप्यूटर में क्या कार्य है ? केश मेमोरी ( Cache Memory ) क्या है यह सबसे तेज क्यों होती है
मॉडेम (Modem)
मॉडूलेशन और डीमॉडूलेशन को मिलाकर व संक्षिप्त करके मॉडेम शब्द का निर्माण हुआ हो जो कंप्यूटर को टेलीफोन लाइन के द्वारा किसी अन्य कंप्यूटर को सूचना भेजने व लेने में मदद करता है.
इसलिए कई स्तिथियों में मेमोरी की धीमी गति के कारण प्रोसेस की कार्यक्षमता कम हो जाती है. स्पष्ट रूप से , प्रोसेसर की कार्य क्षमता को मेमोरी प्रोसेसर ‘मिसमेच’ (Mis Match) को कम करके बढाया जा सकता है जो की केश मेमोरी को काम लेकर किय जा सकता है.