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वाक्य के आधार पर "वाच्य" के भेदों का वर्गीकरण

  • मोहन पत्र लिखता है |
  • मोहन के द्वारा पत्र लिखा जाता है |
  • मोहन से लिखा जाता है |


ऊपर लिखे तीनो वाक्यों को ध्यान से पढ़िए | पहले वाक्य में ''लिखता'' क्रिया के रूप से स्पष्ट है कि ''मोहन'' कर्ता की प्रधानता है |

दूसरे वाक्य में क्रिया का रूप बताता है कि कुछ कार्य (पत्र लिखना) होता है और वह कर्ता के द्वारा किया जाता है अर्थात कर्म (पत्र) की प्रधनाता है |

तीसरे वाक्य में न तो कर्ता की प्रधानता है न ही कर्म की प्रधानता है इसमें भाव की प्रधानता है | यह वाक्य सिर्फ यही बताता है कि कर्ता (मोहन) कार्य करने में समर्थ है |

इस प्रकार तीनो वाक्य क्रमशः कर्ता ,कर्म ओर भाव की प्रधानता सूचित करते है | क्रिया के अलग-अलग रूपों की इस प्रकार की सूचना देना ही ''वाच्य'' कहलाता है | वाच्य के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है -

  1. कर्तुवाच्य 
  2. कर्मवाच्य
  3. भाववाच्य




कर्तुवाच्य -

क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्ता से होता है | इन वाक्यों में कर्ता की प्रधानता होती है | क्रिया के लिए लिंग भी कर्ता के अनुसार निर्धारित होता हैं |

जैसे -

  • राधा कपड़े धो रही है |
  • मोहन विद्यालय जा रहा है |
  • वे घूम रहे है |


कर्मवाच्य -

इसमें क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्म से होता है ओर क्रिया का रूप कर्म के अनुसार बदलता है |इसकी मुख्य क्रिया सकर्मक होती है |

जैसे - 

  • मजदूरो द्वारा भवन बनाया गया |
  • नानी के द्वारा कहानी सुनाई जाती है |
  • गीता ने आम खाया |


कर्मवाच्य में कर्ता के बाद,से,द्वारा,के द्वारा का प्रयोग किया जाता है |
भाववाच्य - 

इसमें क्रिया के पुरुष, वचन , लिंग हमेशा अन्यपुरुष, एकवचन और पुल्लिंग में ही रहते है | इसमें कर्ता और कर्म की प्रधानता न होकर क्रिया की प्रधानता न होकर क्रिया की प्रधानता होती है | वाक्य का भाव क्रिया आश्रित होता है |

जैसे - 
  • उससे पढ़ा नही जाता |
  • विमला से खेला नही जाता है |
  • सीता से चला नही जाता है |



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