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कम्पुटर ऑपरेटिंग सिस्टम का वर्गीकरण


ऑपरेटिंग सिस्टम का वर्गीकरण

विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर सिस्टम को संचालित करने के हेतु विभिन्न सुविधाओं वाले ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है. कंप्यूटर द्वारा डाटा प्रोसेसिंग के तरीकों के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –

(1) बैच प्रोसेसिंग
(2) मल्टीटास्किंग
(3) ऑन लाइन / रियल टाइम सिस्टम
(4) टाइम शेयरिंग
(5) मल्टी प्रोग्रामिंग
(6) मल्टी प्रोसेसिंग
(7) वितरित डाटा प्रोसेसिंग
(8) ऑफ़ लाइन प्रोसेसिंग

बैच प्रोसेसिंग ( BATCH PROCESSING )  इसका प्रयोग पूर्व में मेनफ्रेम कंप्यूटर में किया जाता था. इसके अंतर्गत डाटा को एक निश्चित समय तक संगृहीत किया जाता है फिर उसे समूह ( बैच ) के रूप में प्रोसेस किया जाता है. इसके अंतर्गत डाटा को पंचकार्ड में सुरक्षित रखा जाता है. पंच कार्ड में रखे डाटा को जॉब कंट्रोल कार्ड के निर्देशों की सहायता से एक निश्चित समय के बाद प्रोसेस किया जाता है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सी पी यू एवं अन्य इनपुट इकाइयों का समुचित उपयोग नही हो पता था. व्यवसाय में पे रोल आदि तैयार करने हेतु इस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है – इसके अंतर्गत कर्मचारी के कार्य घंटे आदि का विवरण एक निश्चित समय तक एकत्रित कर फिर उसे एक साथ प्रोसेस किया जा सकता है. पे रोल , बिजली , पानी आदि के बिल तैयार करने हेतु अभी भी यह उपयोगी है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा कंप्यूटर संसाधनों का समुचित उपयोग नही हो पता है.

मल्टीटास्किंग ( MULTI-TASKING ) – इसके अंतर्गत कंप्यूटर सिस्टम के सभी साधनों का निरंतर एवं प्रभावी उपयोग किया जाता है | इसके अंतर्गत सी पी यू (CPU) इनपुट प्रोसेसिंग एवं आउटपुट हेतु एक कार्य से दुसरे कार्य हस्तांतरित होता रहता है | इससे कंप्यूटर सिस्टम एक साथ कई कार्य कर सकता है जिससे कंप्यूटर साधनों का प्रभावी उपयोग संभव होता है इसके अंतर्गत मेमोरी को कई भागो में बाट दिया जाता है जिससे कई कार्य एक साथ किये जा सकते हैं मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम में दो विधियों का उपयोग किया जाता है –

(A) कॉ-ऑपरेटिव मल्टीटास्किंग - कॉ-ऑपरेटिव मल्टीटास्किंग के अंतर्गत जब यूजर कोई कार्य कर रहा होता है तब कंप्यूटर अन्य कार्य कर रहा होता है, जैसे यूजर टाइप कर रहा  है तथा कंप्यूटर द्वारा प्रिंटिंग का कार्य किया जा रहा है.

(B) प्रि-ऐम्पटिव मल्टीटास्किंग - प्रि-ऐम्पटिव मल्टीटास्किंग के अंतर्गत प्रोग्राम की एक सूची बना ली जाती है तथा उन्हें प्राथमिकता प्रदान कर दी जाती है ऑपरेटिंग सिस्टम क्रियाशील प्रोग्राम को हटाकर उच्च प्राथमिकता वाला कार्य शुरू करवा देता है. इसके द्वारा मल्टी प्रोग्रामिंग भी संभव है जिसमे एक साथ एक से अधिक प्रोग्राम CPU द्वारा प्रोसेस किये जा सकते है.

ऑन लाइन / रियल टाइम सिस्टम - इसके अंतर्गत कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग लगतार किया जा सकता है इसके अंतर्गत विभिन्न टर्मिनल्स का उपयोग किया जाता है जो की एक CPU से जुड़े होते है टर्मिनल्स की सहायता से ट्रांजक्शन होते ही उन्हें CPU को प्रेषित कर दिया जाता है जिसकी प्रोसेसिंग हो जाती है टर्मिनल्स का उपयोग डाटा को इनपुट करने के अतिरिक्त पूछताछ के लिए भी किया जा सकता है रेलवे एवं वायुयान आरक्षण, इ बैंकिंग आदि में इस सिस्टम का काफी प्रयोग होता है आने वाले समय में ई-कॉमर्स के विकास के साथ ऑनलाइन ऑपरेटिंग सिस्टम का अधिक उपयोग होगा.

टाइमशेयरिंग – इसके अंतर्गत सभी यूजर को CPU एक निश्चित समय आबंटित कर देता है इससे एक साथ कई यूजर एक ही कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग कर सकते है. CPU सभी यूजर के कार्यो को उनको आबंटित समय के अनुसार बारी बारी से संपन्न करता है इसके अंतर्गत भी यूजर टर्मिनल्स का उपयोग करते है. प्रत्येक यूजर का टर्मिनल CPU से जुडा रहता है. इसके अंतर्गत सभी यूजर को CPU इतना थोडा समय आबंटित करता है की सभी यूजर को यह भ्रम रहता है की CPU केवल उनका ही कार्य कर रहा है. CPU की प्रोसेसिंग गति इनपुट आउटपुट इकाईयों से काफी अधिक होने के कारण ऐसा भ्रम होता है.

मल्टीप्रोग्रामिंग – इसके अंतर्गत कंप्यूटर एक साथ कई प्रोग्राम संचालित करता है. कंप्यूटर की मैमोरी में कई प्रोग्राम संगृहीत होते रहते है यद्धपि CPU वास्तविक रूप से एक समय पर एक ही निर्देश को प्रोसेस करता है किन्तु CPU एक प्रोग्राम के निर्देश को प्रोसेस कर दुसरे प्रोग्राम के निर्देश को इतनी तेज़ी से प्रोसेस करता है की यूजर को एसा लगता है की उसके सभी प्रोग्राम एक साथ प्रोसेस किये जा रहे हैं. इसके अंतर्गत CPU एक प्रोग्राम को पूरा प्रोसेस न कर कई प्रोग्राम के निर्देशों को प्रोसेस करता है. इस प्रणाली का उपयोग मिनी कंप्यूटर में काफी किया जाता है.

मल्टी प्रोसेसिंग – इसमें कंप्यूटर सिस्टम के अंतर्गत एक साथ एक से अधिक CPU का उपयोग किया जाता है. इसे पैरेलल प्रोसेसिंग भी कहते हैं मौसम पूर्वानुमान, परमाणु शोध, सिम्युलेसन, इमेज प्रोसेसिंग आदि में जहाँ बहुत बड़ी मात्रा में डाटा की प्रोसेसिंग आवश्यक है वहां एक से अधिक CPU की आवश्यकता होती है. इन सभी CPU को कार्य का बंटवारा कर दिया जाता है. सुपर कंप्यूटर में इसी विधि का उपयोग किया जाता है. मिनी एवं मेनफ्रेम कंप्यूटर में भी इनका उपयोग किया जाने लगा है. ऑपरेटिंग सिस्टम इनपुट , प्रोसेसिंग एवं आउटपुट की सूचीयन का कार्य करता है.

वितरित डाटा प्रोसेसिंग – इसके अंतर्गत एक केन्द्रीय स्थान पर डेटाबेस रखा जाता है किन्तु उनकी प्रोसेसिंग अनेक स्थानों पर की जा सकती है. इसमें कई यूजर एक ही एप्लीकेशन पैकेज का उपयोग करते हैं तथा सभी को डाटा को अपडेट एवं मेनिपुलेट करने का अधिकार होता है. इसके अंतर्गत कई कंप्यूटर का एक नेटवर्क विकसित किया जाता है. इससे डाटा का एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर को आदान प्रदान भी संभव हो जाता है.

ऑफ़ लाइन प्रोसेसिंग – इसके अंतर्गत कंप्यूटर द्वारा डाटा को मेग्नेटिक डिस्क या टेप पर इनपुट किया जाता है. इस डिस्क या टेप की सहायता से फिर CPU द्वारा डाटा को एक साथ प्रोसेस करवाया जाता है. इस प्रक्रिया का उपयोग डाटा को इनपुट करने हेतु किया जाता है. डिस्क या टेप पर इनपुट किये गए डाटा को फिर समूह ( BATCH ) में CPU द्वारा प्रोसेस किया जाता है. मिनी कंप्यूटर का उपयोग ऑफ़ लाइन प्रोसेसिंग हेतु काफी किया जाता है.   
  


  








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