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खिलजी वंश - जलालुदीन फ़िरोज़ खिलजी एवं अलाउदीन खिलजी


खिलजी वंश


जलालुदीन फ़िरोज़ खिलजी (1290-1296 ई.) – 1290 में जलालुदीन फ़िरोज़ खिलजी सिंहासन पर बैठा इसने अपनी राजधानी किलोखरी बनाई वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसका हिन्दू जनता के प्रति उदार द्रष्टिकोण था. उसके भतीजे व दामाद अलाउदीन ने 20 जुलाई 1296 को धोखे से उसकी हत्या करवा दी.

अलाउदीन खिलजी (1296-1316 ई.) – अलाउदीन ने सिक्को पर अपना उल्लेख द्वितीय सिकंदर के रूप में करवाया. 1297 ई. में अलाउदीन ने गुजरात के हिन्दू राज्य को जीतने के लिए एक सेना भेजी. अलाउदीन की सेना वहां से बहुत दूर धन व मलिक काफूर को लेकर लौटी अलाउदीन ने काफूर को मलिक नायब की उपाधि दी. 1308 ई. में काफूर ने दक्षिण प्रस्थान किया दक्षिण विजय करने वाला प्रथम मुस्लिम सुलतान था. अलाउदीन ने कीमतों पर नियंत्रण रखने व सुचारू आपूर्ति व्यावस्था बनाये रखने के लिए बाजार नियंत्रण व्यावस्था लागू की.

अलाउदीन प्रथम सुलतान था, जिसने स्थायी सेना की नीव डाली उसने घोड़ो को दागने की प्रथा का भी प्रचलन किया.

1316 में सुल्तान अलाउदीन की मृत्यु हो गयी उसके बाद उसका पुत्र मुबारक खिलजी शासक हुआ जो था तो कुछ योग्य परन्तु अपनी विकृत यौन अकांक्षाओ के कारण खुद भी मरा एवं अपने वंश को भी पतन के तरफ ले गया 1320 में खिजली वंश का अंत हो गया.

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