भारतीय राजनीति (Indian Politics)
भारत का संवैधानिक विकास भाग - 1
रेग्यूलेटिंग एक्ट ने बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल बनाकर मद्रास तथा बम्बई प्रेसिडेंसी को उसके नियंत्रण में आंशिक रूप से कर दिया |
रेग्यूलेटिंग एक्ट ने कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की एलिजा इम्पे कोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किये गये |
1784 के पिट्स इंडिया एक्ट ने इंग्लैंड में भारतीय मामलों के संचालन हेतु बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल की स्थापना की |
1784 के एक्ट ने बम्बई व मद्रास की प्रेसिडेंसी पर गवर्नर जनरल के पूर्ण नियन्त्रण की स्थापना की |
1784 में पिट्स इंडिया एक्ट ने गवर्नर जनरल की परिषद के सदस्यों की संख्या घटक 3 कर दी |
1813 के चार्टर एक्ट से भारतीय व्यापार पर कम्पनी का एकाधिकार समाप्त कर इस चार्टर एक्ट में शिक्षा साहित्य पर 1 लाख रुपया व्यय करने का प्रावधान किया | मिशनरियों को लायसेंस लेकर धर्म प्रचार की छुट |
1833 के चार्टर एक्ट ने भारत के गवर्नर जनरल के पद का सृजन किया चीन के साथ कम्पनी के व्यापार का एकाधिकार समाप्त किया गवर्नर की परिषद में विधि सदस्य को नियुक्त किया गया प्रथम विधि सदस्य लोर्ड मैकाले था |
1858 के भारत सरकार अधिनियम ने कम्पनी के राज्य का अंत कर क्राउन की सत्ता को स्थापित किया भारतीय मामलों की देखभाल का अधिकार भारत मंत्री व उसकी 15 सदस्यीय परिषद को दिया गया |
1861 के सुधार कानून ने गवर्नर जनरल की कार्यकरिणी में 5 वें सदस्य को नियुक्त किया विधि निर्माण कार्य से नामजद गैर सरकारी सदस्यों को जोड़ा प्रान्तों को विधि निर्माण का अधिकार दिया |
1892 के सुधर कानून ने विधि – निर्माण संस्था में गैर – सरकारी सदस्यों की नियुक्ति हेतु विशुद्ध नामांकन के स्थान पर सिफारिश के आधार पर नामांकन की पध्दति आरम्भ की तथा सदस्यों को सीमित दायरों में प्रश्न पूछने व बजट पर बहस करने का अधिकार दिया |
इंडिया काउंसलिंग तथा गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी प्रथम बार 1909 के एक्ट के द्वारा की गयी |
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