ई-वाणिज्य : भारत सरकार का प्रयास
केंद्र सरकार ने मार्च, 2016 में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी. सरकार बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) ई-कामर्स में पहले ही 100% एफडीआई की अनुमति दे चुकी है. डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क में कंप्यूटर, टीवी चैनल और अन्य इन्टरनेट एप्लीकेशन शामिल है.
सरकार का उद्देश्य देश में और अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना है. औधोगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के दिशा निर्देश में कहा गया है कि माल संगृहीत कर ई-कॉमर्स के जरिये उसकी खुदरा बिक्री के माडल में एफडीआई की अनुमति नही होगी.
गौरतलब है कि वैश्विक ऑनलाइन खुदरा कंपनियों अमेजन और ईबे (e-bay) आदि भारत में ऑनलाइन मार्केट मंच का परिचालन कर रही है इस क्षेत्र में फ्लिफकार्ट और स्नैपडील जैसी घरेलू कंपनियों का निवेश हो रहा है विभिन्न ऑनलाइन रिटेल माडलों में एफडीआई को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नही था. स्पष्टता लाने के लिए डीआईपीपी ने ई-कॉमर्स को इन्वेंटरी यानी माल का भंडार कर किया जाने वाला ऑनलाइन खुदरा कारोबार और खुदरा कारोबार के लिए ऑनलाइन बाजार का मंच चलाने का माडल के रूप में परिभाषित भी किया है.
मार्केट प्लेस माडल से तात्पर्य किसी ई-कॉमर्स इकाई द्वारा डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर आईटी प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है इस माडल में ई-कॉमर्स इकाई क्रेता-विक्रेता के बीच केवल संपर्क की भूमिका निभाएगा.
भारत में ई-वाणिज्य का भविष्य
सर्च इंजन गूगल की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन माध्यम से खरीददारी करने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ने से देश में ई-कॉमर्स बाजार से बिकने वाली वस्तुओ का सकल वस्तु मूल्य वस्तु 2020 तक $ 60 अरब हो जाने का अनुमान है. वर्ष 2020 तक ऑनलाइन दुकानदारो की संख्या बढ़कर 17.5 करोड़ हो जाने की उम्मीद है. यह संख्या वर्ष 2025 तक 53 करोड़ में बदल जाने की उम्मीद है. रोजगार का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनने वाला ई-वाणिज्य भविष्य में 14 लाख नए रोजगार सृजित करेगा.
भारतीय डाक का ई-वाणिज्य पर ‘माय स्टाम्प’
भारतीय डाक ने जून 2016 में ई-वाणिज्य पर पहली डाक टिकट ‘माय स्टाम्प’ जारी किया. माय स्टाम्प में ई-वाणिज्य कम्पनी अमेज़न को दर्शाया गया है. डाक विभाग ने यह डाक टिकट अमेजन के साथ भागीदारी के तीन वर्ष पूरे होने पर जारी किया था.
No comments:
Post a Comment