विजयनगर साम्राज्य
विजयनगर की स्थापना हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाईयों द्वारा 1336 ई.
में की गई. स्थापना के बाद से ही विजयनगर व उसके पडौसी राज्य बहमनी का संघर्ष
निरंतर चलता रहा.
प्रथम संघर्ष 14वीं शताब्दी के उतरार्ध में बहमनी शासक मोहम्मद प्रथम
और विजयनगर के शासको बुक्का प्रथम और हरिहर द्वितीय के बीच हुआ. बुक्का प्रथम
पराजित हुआ किन्तु हरिहर द्वितीय ने बहमनी सेनाओ को पराजित किया और विजयनगर की
उत्तरी सीमा को कृष्णा नदी तक विस्तृत कर दिया.
14वीं शताब्दी के अंतिम चरण में फिरोजशाह बहमनी ने विजयनगर पर आक्रमण
किया और देवराय प्रथम को पराजित कर संधि पर बाध्य किया. कुछ समय पश्चात् देवराय
द्वितीय ने बहमनी पर चढ़ाई कर कुछ क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया. अहनद प्रथम ने 1425
ई. के बाद विजयनगर की स्थिति को प्रभावित किया और तेलंगना एवं रायचूर दोआब के
क्षेत्रों में बहमनी सत्ता को सुद्रढ़ किया.
15वीं शतब्दी के अंतिम चतुर्थांश में महमूद गवां ने बहमनी राज्य की
स्थिति को पुनः सर्वोपरि कर दिया. उसकी म्रत्यु के पश्चात् बहमनी का विघटन आरम्भ
हो गया. इसका लाभ उठाकर विजयनगर के शासक कृष्णदेवराय (1509-29 ई.) ने विजयनगर का
प्रभुत्व स्थापित किया. प्रशिध विदूषक तेनालीराम उन्ही के दरबार में था. 1565 ई.
में बहमनी राज्य के प्रमुख घटकों ने एक साथ होकर विजयनगर पर चढ़ाई कर दी और
तालीकोटा की लडाई (1565) उसे पराजित कर दिया तथा विजयनगर के साम्राज्य का अंत कर
दिया.
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