2 उत्तर वैदिककाल – भारतीय इतिहास में उस काल को जिसमे सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्ववेद तथा ब्राह्मण ग्रंथों, अरण्यकों एवं उपनिषद की रचना हुई को उत्तर वैदिक् काल कहते है |
वैदिक कालीन नदियाँ एवं उनके वर्तमान नाम
प्राचीन नाम आधुनिक नाम
सिन्धु सिंध
विपासा व्यास
वितस्ता झेलम
सदानीरा गंडक
कुभू कुर्रम
गोमती गोमल
सुवस्तू स्वात
अस्कनी चिनाब
परुष्णी रावी
शातुद्री सतलज
कुभा काबुल
दृषद्वती घग्घर
इसकी महत्वपूर्ण विशेषताएँ –
(i) उत्तर वैदिक काल (1000 – 600 ई.पू.) में लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि था तथा लोहे का ज्ञान हो चूका था , इसके अलावा दुसरे स्थान में पशुपालन था |
(ii) दास शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है |
(iii) अथर्ववेद में कुरु राजा परीक्षित के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है |
(iv) चारों आश्रमों की प्रथम जानकारी जाबालोपनिषद से मिलती है | ये आश्रम है – ब्रमचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, एवं सन्यास
(v) उत्तर वैदिककाल में चावल का उल्लेख पहली बार मिलता है और इसको व्रीहि कहा गया है |
(vi) अथर्ववेद में परीक्षित को ‘मृत्युलोक का देवता’ कहा गया है |
(vii) पुरुषार्थ चार प्रकार के थे – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
(viii) उत्तरवैदिक काल में 14 पुरोहितों की जगह का उल्लेख मिलता है |
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