Study Juction

Free Notes & Articles In Hindi

मौर्यकाल का सबसे महान सम्राट अशोक एवं मौर्यकालीन व्यवस्था तथा परवर्ती मौर्य सम्राट एवं पतन

सम्राट अशोक 

(The Great Ashoka)


अशोक (272 ई.पू. से 232 ई.पू.) – बिन्दुसार की मृत्यु की पश्चात्त उसका पुत्र अशोक मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठा. अशोक की गणना विश्व इतिहास के महानतम सम्राटों में होती है |
अशोक पहला भारतीय राजा हुआ जिसने अपने अभिलेखों के सहारे सीधे अपनी प्रजा को संबोधित किया उसके अभिलेखों में सर्वत्र उसे देवनाम प्रिय या देवनाम प्रियदर्शी उपाधियों से संबोधित किया गया है केवल मास्की और गुर्जरा के लेखों में उसका नाम अशोक मिलता है | सर्वप्रथम 1837 में जेम्स प्रिन्सेप ने अभिलेखों में उल्लेखित देवनाम प्रियदर्शी को अशोक के साथ समीकृत किया था. अशोक के अभिलेख ब्राम्ही व खरोष्ठी लिपि में मिलते है | 

बौध्द अनुश्रुतियों से पता चलता है कि अशोक ने अपने 99 भईयों को मारकर सिंहासन प्राप्त किया था, राजगद्दी पर बैठने के पश्चात् अशोक ने केवल एक युध्द किया जो कलिंग युध्द के नाम से प्रसिध्द है. यह युध्द 261 ई.पू. में हुआ था यह युध्द अशोक के जीवन की एक युगांतकारी घटना थी कलिंग युध्द में हुए अपार जनसंहार से अशोक की अंतरात्मा को तीव्र आघात पहुंचा उसने युध्द विजय की नीति को त्यागकर धम्य विजय की नीति को अपना लिया और व्यक्तिगत जीवन में उसने बौध्द धर्म को अपना लिया |



अशोक के राज्यकाल में पाटलिपुत्र में तृतीय बौध्द संगीति का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता मोगलिपुत्र तिष्य ने की | इस संगीति में अभिधम्य पिटक नामक बौध्द ग्रन्थ की रचना हुई उसने बौध्द धर्म के प्रचार हेतु अपने पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा | अशोक के प्रयासों से बौध्द धर्म का देश-विदेश में प्रचार हुआ. अशोक ने नये धम्म प्रचार के लिए धम्म महामात्र नामक एक नये अधिकारी पद का सृजन किया तथा शिलालेख तथा स्तम्भ लेख जारी किये | उसके द्वारा 14 शिलालेख, तथा 7 स्तम्भ लेख और कई छोटे-छोटे शिलालेख एवं स्तम्भ लेख जारी किये गये. अभिलेखों के माध्यम से उसने अपनी प्रजा को धम्म का संदेश दिया |   
                                                    
परवर्ती मौर्य सम्राट – 232 ई.पू. के लगभग अशोक की म्रत्यु के पश्चात् मौर्य साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया अशोक के बाद के राजाओं के नाम और कम असंदिग्ध और अनिश्चित अवस्था में नही प्राप्त होते है | पुराणों के अनुसार अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ था, जिसकी हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की थी |



मौर्यकालीन व्यवस्था -  मौर्यकाल में शासन का कार्य भार मुख्यतः एक विशाल वर्ग पर था, जिन्हें अर्थशास्त्र में तीर्थ कहा गया है इनकी संख्या 18 थी इसके अलावा अर्थशास्त्र में विभिन्न विभागाध्यक्षों का उल्लेख प्राप्त होता है जिनकी संख्या 26 थी | मुख्य विभागाध्यक्ष थे – कोषाध्यक्ष, सीमाध्य्क्ष, पण्याध्यक्ष, पौतवाध्यक्ष, मुद्राध्यक्ष आदि |

पुष्यमित्र शुंग


184 बी.सी. में मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहद्रथ की हत्या कर पुष्यमित्र शुंग ने मगध की गद्दी पर अधिकार कर लिया | पुराणों के अनुसार शुंग ब्राम्हण जाती के थे. पुष्यमित्र के शासनकाल की महत्वपूर्ण घटना अश्वमेध यज्ञ था | पतंजलि के अनुसार पुष्यमित्र ने दो बार अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया जो एक महान शासक के रूप में उसकी सत्ता अभिव्यक्ति का प्रयास था | पुष्यमित्र पर बौध्द धर्म के विरोध और दमन का आरोप लगाया जाता है. पतंजलि की रचना महाभाष्य उसी समय की रचना है | कला के क्षेत्र में भरहुत का स्तूप उस काल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है पुष्यमित्र की म्रत्यु 148 ई.पू.  में हुई, परन्तु इसके वंशजों का शासन 72 ई. पूर्व तक बना रहा उसके बाद कणववंश ने सत्ता पर अधिकार कर लिया |  

यह लेख आपको कैसा लगा तथा अपने सवाल एवं सुझाव को कमेंट करे 
Share:

1 comment:

  1. Betturkey giriş adresine buradan ulaşabilirsiniz.
    betturkey giriş
    325V1G

    ReplyDelete

Recent Posts

Google Ads


Definition List

Popular Posts

Search

Labels

Blog Archive

Followers