मध्यकालीन भारत के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य भाग - 2
चोल राज्य में शिक्षा मंदिरों में दी जताई थी मंदिर के पुजारी स्थानीय अध्यापक होते थे. धार्मिक शिक्षा संस्कृत भाषा के माध्यम से दी जाती थी यद्दपि साधारण बोलचाल की भाषा तमिल थी |
आलवार (विष्णु के उपासक) एवं नायननार (शिव के उपासक) आदि ने दक्षिण में भक्ति आन्दोलन किया |
लिंगायत संप्रदाय की स्थापना बारहवी शतब्दी में बासव ने की थी |
गजनी आफ्गानिस्तान का एक छोटा सा राज्य था तुर्की सरदार ने दसवी शताब्दी में गंजनी की स्थापना की थी उसका उत्तराधिकारी महमूद गजनी था . वह एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाना चाहता था अतः वह मध्य एशिया में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था |
धन प्राप्ति के उद्देश्य से महमूद ने भारत पर पहला आक्रमण 1000 ई. में किया 1010 और 1025 ई. के बीच महमूद ने मंदिरों वाले नगरों पर आक्रमण किया क्योकि उसने सुना था की भारत के मंदिरों में धन और सोना बहुत है उसके आक्रमणों में पश्चिमी भारत के सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण और विनाश सबसे अधिक उल्लेखनीय है |
महमूद गजनवी का भारत में कोई स्थायी राज्य बनाने का लक्ष्य नही था क्योकि वह लगातार गजनी लौटता रहा वह तो मात्र एशिया में तुर्की – फारसी साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था, पंजाब को भी उसने (सन 1021 -22) में अपने राज्य में मिलाया |
1030 ई. में महमूद गजनवि की मृत्यु हो गयी शाहनामा नामक महाकाव्य का लेखक फिरदौसी महमूद के संरक्षण में था उसी ने मध्य एशिया के प्रसिध्द विद्वान अलबरूनी को भारत भेजा. अलबरूनी ने ‘किताबुल हिन्द’ की रचना की |
मुहम्मद गौरी भारत पर आक्रमण कर धन प्राप्त कर संतुष्ट रहने वाला नही था, उसने भारत विजय की योजना भी बनाई |
1191 में तराइन के प्रथम युध्द में मुहम्मद गौरी पृथ्वीराज तृतीय से पराजित हुआ लेकिन 1192 में तराइन के दुसरे युध्द में उसने प्रथ्वीराज तृतीय को पराजित किया, परिणामस्वरूप दिल्ली के क्षेत्र पर मुहम्मद गौर का अधिकार हो गया. 1206 में मुहम्मद गौरी की हत्या कर दी गयी |
मुहम्मद गौरी ने भारत में तुर्की साम्राज्य की नींव रखा |
मध्यकाल की सबसे बड़ी विशेषता सामंतवाद का उदय था. मध्यकाल में वेतन की बजाय भूमि के लगान वसूल करने का अधिकार देकर वेतन देने की प्रणाली विकसित हुई. लगान वसूल करने वाले राय या ठाकुर कहलाते थे ये लगान का बड़ा भाग अपने उपयोग के लिए रोक लेते थे व कुछ भाग राजा को देते थे. राजा की सेवा के लिए उनको कुछ सैनिक रखने पड़ते थे जो आवश्यकता पड़ने पर राजा के साथ युध्द करते थे |
धीरे-धीरे सामंत शक्तिशाली होने लगे, क्योकि कर व सेना का रखरखाव उनके हाथ में था अतः राजा की स्थिति कमजोर होती गयी. शक्तिशाली सामंत एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने लगे, महाराजधिराज जैसा विरुध्द धारण करने लगे |
समाज में ब्राम्हणों का आदर था शहरों में रहने वाले लोग व्यापार करने में लगे हुए थे अरब व्यापारियों ने व्यापार को बढ़ावा दिया. भारत से वस्तुएं जैसे केसर, रेशम, रुई, उनी वस्त्र, बहुमूल्य रत्न, सुगन्धित लकड़ी (चन्दन) और मसालों का निर्यात होता था. भारत में मध्य एशिया व अरब से घोड़े मँगाए जाते थे. पश्चिम एशिया से खजूर और शराब का बहुत बड़ी मात्रा में आयत होता था |
समाज ए शूद्रों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी, वे अधिकांशतः किसान थे |
इस काल में नालंदा (बिहार) एक प्रसिध्द बौध्द मठ और विश्वविद्यालय था |
विल्हण ने विक्रमांक देव चरित व कल्हण ने ‘राजतरंगिनी’ की रचनी की थी |
कल्हण ने राजतारंगिनी नामक कश्मीर का संसार प्रसिध्द इतिहास बारहवी सदी में लिखा |
इस काल में जयदेव ने ‘गीतगोविन्द’ की रचना की जिसमे राधा-कृष्ण की प्रेमकथा की कविताएं थी |
उड़ीसा के पुरी मंदिर और भुवनेश्वर के मंदिर तथा कोणार्क का सूर्य मंदिर इस समय के सबसे ज्यादा प्रसिध्द मंदिर थे |
चंदेल शासको ने मध्य भारत में खुजराहों के मंदिर बनवाए. राजस्थान में आबू पर्वत पर सफ़ेद संगमरमर के जैन मंदिर भी इसी काल के है |
पाल वंश के शासक हिन्दू और बौध्द दोनों धर्मो के संरक्षक थे |
No comments:
Post a Comment