मध्यकालीन भारतीय इतिहास
तुगलक वंश
गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ई.) - गाजी मलिक अथवा तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक का काल समस्याओं से भरा था. तेलंगना के शासक प्रताप रूद्रदेव द्वारा खराज देने से इंकार करने पर अपने पुत्र जौना खां को भेजा. गयासुद्दीन ने स्वयं सैनिक अभियान बंगाल में विद्रोह दमन करने के लिए किया था. दिल्ली वापसी पर स्वागत समारोह में एक लकड़ी के भवन के गिरने से 1325 में उसकी मृत्यु हो गयी.
मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ई.) - 1325 में गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जौना खां मुहम्मद बिन तुगलक की उपाधि धारण कर दिल्ली का सुलतान बना. उसने अपनी राजधानी दिल्ली से बदलकर देवगिरी की, लेकिन यह प्रयोग असफल रहा. मुहम्मद बिन तुगलक ने 1330 ई. में सांकेतिक मुद्रा चलाई. इसने मिश्रित कांसे के सिक्के जारी किये, परन्तु लोग इस नए प्रयोग को समझ न सके.
लोगो ने जाली सिक्के बनाने शुरू कर दिए निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी. मोरक्को का इब्नबतूता जो लगभग 1333 में भारत आया था उसे सुलतान ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया. थट्टा की ओर जाते हुए 20 मार्च 1351 को सुलतान की मृत्यु हो गयी. उसके मरने पर इतिहासकार बंदायूनी ने कहा कि “सुलतान को उसकी प्रजा से और प्रजा को अपने सुलतान से मुक्ति मिल गयी|”
लोगो ने जाली सिक्के बनाने शुरू कर दिए निराश होकर सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा बंद कर दी. मोरक्को का इब्नबतूता जो लगभग 1333 में भारत आया था उसे सुलतान ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया. थट्टा की ओर जाते हुए 20 मार्च 1351 को सुलतान की मृत्यु हो गयी. उसके मरने पर इतिहासकार बंदायूनी ने कहा कि “सुलतान को उसकी प्रजा से और प्रजा को अपने सुलतान से मुक्ति मिल गयी|”
फिरोज तुगलक (1351-1388 ई.) - मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के पश्चात् 1351 ई. में दिल्ली का सुलतान फिरोज तुगलक बना. इसका काल राजनितिक एवं आर्थिक विकेंद्रीकरण का काल था. जहाँ तक हो सका सभी वर्ग के लोगो पर सरकारी नियंत्रण पर ढील दे दी गयी. पहले ब्राम्हाण जजिया कर से मुक्त थे, किन्तु फिरोज तुगलक ने उन पर भी इस कर का विस्तार किया. सुल्तान ने उलेमा की स्वीकृति से सिंचाई कर भी लगाया.
सुलतान ने कई नहरों का निर्माण करवाया जिसमे हिसार फिरोजा की नहर महत्वपूर्ण थी. फिरोज तुगलक ने भूमि को ठेके पर देने की प्रथा का विस्तार किया. उसने फिरोजाबाद, दिल्ली में कोटला फिरोजशाह, फतेहाबाद, हिसार, जौनपुर और फिरोजपुर आदि नगरों की स्थापना की.
सुलतान ने कई नहरों का निर्माण करवाया जिसमे हिसार फिरोजा की नहर महत्वपूर्ण थी. फिरोज तुगलक ने भूमि को ठेके पर देने की प्रथा का विस्तार किया. उसने फिरोजाबाद, दिल्ली में कोटला फिरोजशाह, फतेहाबाद, हिसार, जौनपुर और फिरोजपुर आदि नगरों की स्थापना की.
सुलतान ने शारीरिक यातनाओं की प्रथा को समाप्त कर दिया. जियाउद्दीन बरनी तथा शम्से शिराज अफीफ ने अपने ग्रन्थ उसी के संरक्षण में लिखे. सुल्तान ने “फतुहाते-फिरोजशाही” नाम से अपनी आत्मकथा लिखी. 1388 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी.
तुगलक वंश का अंतिम शासक नासिरुद्दीन मुहम्मदशाह था उसने शासनकाल में 1398 में तैमूरलंग ने भारत पर आक्रमण किया था.
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