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ऐतिहासिक तथ्य - प्राचीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्य भाग - 3


मौर्यकाल से भारत के इतिहास में साम्राज्य निर्माण की नींव पड़ी |

चाणक्य की सहायता से चन्द्रगुप्त मौर्य ने नन्द शासक घनानंद को पराजित किया. 25 वर्ष की आयु में चन्द्रगुप्त पाटलिपुत्र के सिंहासन पर बैठा |

जैन परम्परा के अनुसार चन्द्रगुप्त ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म स्वीकार कर लिया और जैन संत भद्रबाहु के साथ मैसूर के निकट श्रवणबेल गोला चला गया जहाँ एक सच्चे जैन मुनि की तरह उपवास के द्वारा शरीर का त्याग कर दिया |

चन्द्रगुप्त का उत्तराधिकारी बिन्दुसार था, बिन्दुसार का पुत्र अशोक, भारतीय इतिहास का सबसे प्रसिध्द शासक बना. वह ऐसा पहला शासक था जिसने अभिलेखों द्वारा जनता तक अपने संदेश पहुँचाने की कोशिश की अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा और देवनागरी लिपि में है |

अशोक का राज्यभिषेक 269 ई.पू. में हुआ 261 ई. पू. में अशोक ने कलिंग को जीतने के लिए युध्द लडा |

कलिंग युध्द के भीषण नरसंहार को देखकर अशोक का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उसने भविष्य में कभी युध्द न करने का संकल्प किया. उसने दिग्विजय के स्थान पर ‘धम्म विजय’ की नीति को अपनाया |

धम्म – अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा अथवा किसी कर्मकांड की आवश्यकता नही थी यह तो एक सामाजिक व नैतिक नियम था. यह अशोक महात्मा बुध्द के उपदेशो से भी बहुत प्रेरित हुआ |

यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर द्वार मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में राजदूत बनाकर भेजा गया था. यहाँ उसने ‘इंडिका’ नामक यात्रा वृतांत लिखा, जिससे मौर्यकालीन प्रशासन तथा सामाजिक परम्परा की जानकारी मिलती है |

कौटिल्य को विष्णुगुप्त या चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है. कौटिल्य ने ‘अर्थशास्त्र‘ लिखा राजनीतिशास्त्र और लोक प्रशासन से सम्बंधित यह एक अत्यंत व्यापक ग्रन्थ है |

मौर्य शासन लोक कल्याणकारी, परन्तु निरंकुश राजतन्त्र था |



मौर्यों के पश्चात् भारत पर सर्वप्रथम बैक्ट्रियन ग्रीक (हिन्द-यूनानी) ने आक्रमण किया उसके बाद पार्थियन ने फिर शकों और कुषाणों ने आक्रमण किया भारत पर पहला सफल आक्रमण डेमेट्रियस ने किया |

सातवाहन वंश – सिमुक नामक व्यक्ति ने लगभग 60 ई.पू. सातवाहन वंश की नीव डाली. इनकी राजधानी पैठन या प्रतिष्ठान थी |
इस वंश का सबसे महान शासक था गौतमी पुत्र श्री शातकर्णी, इसने शकों का नाश करके सातवाहन वंश को पुनर्जीवित किया |

सातवाहन वंश के सभी शासक हिन्दू धर्म के कट्टर अनुयायी थे. उन्होंने वैदिक यज्ञों एवं वर्णाश्रम व्यवस्था को प्रतिष्ठित किया. इसके बावजूद बौध्द व जैन धर्म को भी प्रोत्साहित किया |

गुप्त साम्राज्य कुषाण साम्राज्य ध्वंसावशेष पर उदित हुआ |                      

चन्द्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का प्रथम प्रसिध्द राज्जा हुआ इन्होने अपने राज्यारोहण की स्मृति में 319 – 320 ई. में गुप्त संवत का प्रारम्भ हुआ |

समुद्रगुप्त ने गुप्त साम्राज्य का विस्तार किया, चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की, इसके दरबार में कालिदास और अमरसिंह जैसे विद्वान थे |

गुप्तकाल में खगोलशास्त्र गणित तथा चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपुर्व प्रगति हुई. इस काल में आर्यभट्ट , वराहमिहिर एवं ब्रम्हगुप्त संसार के प्रसिध्द नक्षत्र वैज्ञानिक और गणितज्ञ हुए |

आर्यभट्ट ने अपने ग्रन्थ ‘आर्यभटियम’ में सर्वप्रथम यह प्रस्तुत किया कि पृथ्वी गोल है वह अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर लगाती है जिससे सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण होते है , आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली का विकास किया |

चन्द्रगुप्त द्वतीय के दरबार में प्रसिध्द आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरी भी थे |

कालिदास ने विश्वप्रसिध्द नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम तथा रघुवंश महाकाव्य इसी काल में लिखे |

छठी शताब्दी में वर्धन राजवंश की नीव पड़ी. इस वंश में तीन राजा हुए – प्रभारकर वर्धन और उसके पुत्र राज्यवर्धन व हर्षवर्धन 606 ई. शासक बना. आरंभ में इसकी राजधानी थानेश्वर थी |

चीनी यात्री हेन्सांग, हर्षवर्धन के समय में भारत आया था. इसके यात्रा विवरण को ‘सी-यु-की’ कहा जाता है |

हर्ष ने स्वयं तीन ग्रंथों की रचना की – प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानंद इत्यादि |

हर्ष बादामी के चालुक्य वंशी शासक पुलकेशिन द्वतीय से पराजित हुआ |

बाणभट्ट जो हर्ष का दरबारी कवि था. उसने कादम्बरी तथा हर्षचरित्र की रचना की थी |






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