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मौर्योत्तर काल - भारत पर विदेशी आक्रमण , शक शासक,कुषाण वंश व कण्व वंश

भारत पर विदेशी आक्रमण


 मौर्योत्तर काल की अधिक महत्वपूर्ण घटना थी, उत्तर पश्चिम से विदेशियों का आक्रमण इनमे प्रमुख थे – 

शक शासक – शक मध्य एशिया से भारत आये थे भारत में प्रथम शक राजा था मग अथवा मोस | लगभग 58 ई.पू. उज्जैन में शासन करते हुए एक शक राजा का उल्लेख प्राप्त होता है. विक्रम संवत नाम का एक नया संवत 58 ई.पू. में शकों की विजय से आरम्भ हुआ. शक राजा अपने को क्षत्रप कहते थे | भारत में शकों की दो मुख्य शाखाएँ थी एक उत्तरी क्षत्रप जो तक्षशिला एवं मथुरा में थे और दुसरे पश्चिम क्षत्रप जो नासिक एवं उज्जैन के थे. उज्जयिनी का पहला स्वतंत्र शासक चष्टण था एवं सबसे अधिक विख्यात शक शासक उज्जयिनी का शक शासक रुद्रदामन (130-150 ई.) था | यह एक महान विजेता था इसके द्वारा मशहूर सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार करवाया गया इस वंश का अंतिम राजा रुद्र्सिंह तृतीय था |

 कुषाण वंश – मौर्य वंश के पतन के लगभग दो शताब्दी बाद उत्तरी भारत में पुनः कुषाणों का साम्राज्य स्थापित हो गया. कुषाणों ने 100 वर्षों तक शासन किये. कुषाण यूची कबीले की एक शाखा थे. ये मध्य एशिया के एक – दुसरे कबीले से निकल आये थे इनके साम्राज्य का विस्तार मध्य एशिया में आक्सस नदी के उत्तर वाले इलाके म बनारस और संभवतः पाटलिपुत्र तक था |एसा ज्ञात होता है की कुषाणों के दो वंश कड्फिसियस नामक एक राजा ने चलाया था और 28 वर्षों तक शासन किया. दूसरे वंश में दो राजा हुए एक कड्फिसियस प्रथम दूसरा कड्फिसियस द्वितीय, इस वंश का प्रसिध्द सम्राट कनिष्क प्रथम था |



इसके राज्यारोहण की तिथि विवादास्पद है, लेकिन सबसे अधिक संभावित तिथि 78 ई. सन लगती है इसी साल एक नया संवत शुरू हुआ जो शक संवत के नाम से जाना जाता है | इसकी राजधानी पुरुषपुर (पेशावर) में थी. इसने कश्मीर को जीत कर वहां कनिष्कपुर नामक नगर बसाया तथा कश्मीर में बौध्दों की चौथी महासंगीति का आयोजन करवाया जिसका प्रधान वसुमित्र था |इसके दरबार में अश्वघोष नामक महान विद्वान भी था साथ ही चरक जैसे महान आयुर्वेदाचार्य थे | 


कण्व वंश – शुंगवंश के अंतिम सम्राट देवभूमि की हत्या करके उसके सचिव वसुदेव ई. पू. 75 में मगध में कण्व वंश की नीव रखी. इस वंश के राजाओं ने कुल 30 वर्ष तक राज्य किया. पुराणों के अनुसार आंध्र भ्रत्यों ने इनका उन्मूलन कर दिया |

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