जी.एस.टी. में ई-वाणिज्य
भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) डेलायट की ‘ई-कॉमर्स’ इन इंडिया-ए गेम चेंजर फॉर द इकोनोमी’ शीर्षक में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-वाणिज्य खंड में तेजी से विकास हुआ है, लेकिन कराधान, साजो-सामान, एवं सुविधाओ, भुगतान, इन्टरनेट पहुंच तथा कुशल कार्यबल जैसी कई चुनौतियां भी सामने आयी है.
एक रिसर्च के मुताबिक जीएसटी के क्रियान्वयन से ई-वाणिज्य कारोबार से जुड़े काराधान तथा लाजिस्टिक्स से सम्बध्द विभिन्न मुद्दों के समाधान में मदद मिलेगी. जीएसटी में नियमो को तैयार करते, बनाते समय ई-वाणिज्य सौदों के लिए स्पष्ट परिभाषित नियमो तथा सलाहकार रुख, सरकार के साथ ई-वाणिज्य कम्पनियां दोनों के लिए फायदेमंद होगा.
इसमें यह भी कहा गया है की समय पर और प्रभावी तरीके से डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया स्टार्टअप इंडिया तथा स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन से ई-वाणिज्य व्यावस्था को ग्रामीण क्षेत्रों में इन्टरनेट की अप्रभावी पहुँच तथा कुशल कार्यबल की कमी से जुडी चुनौतियाँ से पार पाने में मदद मिलेगी. रिपोर्ट में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्ष एवं परोक्ष करके क्षेत्र समेत कई उपायों की सिफारिश की गई है.
ई-वाणिज्य को लेकर ब्रिक्स देशो का रुख
ब्रिक्स के व्यापार मंत्रियो ने अक्टूबर 2016 में ई-वाणिज्य के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच और अधिक सहयोग का आह्वान किया तथा विश्व बाजार में उभरती अर्थव्यवस्थाओ की मजबूत भागीदारी के लिए व्यापार के मार्ग में गैर शुल्क अडचने दूर किये जाने पर बल दिया.
ब्रिक्स व्यापार मंत्रियो ने व्यापार से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की जरुरत पर बल दिया. पांच सदस्यीय ब्रिक्स समूह ने ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने ब्रिक्स आईपीआर सहयोग प्राणाली (आईपीआरसीएम) गठित किया है. इसके अलावा आईपीआरसीएम को निर्धारित नियम एवं शर्तों पर काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही बेहतर तथा समन्वित तरीके से सहयोग बढाने के प्रयास में तेजी लाने की बात भी कही गई है.
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