मुग़ल वंश (1526-1707 ई.)
भारत के इतिहास में मुगलवंश का महत्वपूर्ण स्थान है इसकी स्थापना बाबर
के द्वारा की गयी.
बाबर – बाबर का जन्म 1483 में हुआ इसके पिता उम्रशेख मिर्जा फरगना
(तुर्किस्तान का एक भाग) के शासक थे उनकी मृत्यु के पश्चात् 1494 में वह फरगना की
गद्दी पर बैठा. 1504 में उसने काबुल में अपने को स्थापित किया. 1519 में उसने भारत
की तरफ रुख करना शुरू किया. 1526 में पानीपत के प्रथम युध्द में उसने इब्राहिम
लोदी को हराया व भारत में मुगलवंश की स्थापना की इस युध्द में पहली बार तोपों का
प्रयोग हुआ. बाबर का अगला महत्वपूर्ण युध्द 16 मार्च 1527 को खानवा के मैदान में
लड़ा गया जहां राजपूतो की सेना महाराजा संग्राम सिंह के नेतृत्व में पराजित हो गयी
1528 में चंदेरी पर विजय प्राप्त कर मेदिनी राय को हराया. बाबर व अफगानों के बीच
1529 ने घघ्घर का युध्द हुआ, जिसमे बाबर की विजय हुई 1530 में बाबर की मृत्यु हो
गयी. उसकी कब्र काबुल में है. उसने अपनी आत्मकथा लिखी है ‘तुजुक-ए-बाबरी’ जो की
तुर्की में लिखी गयी है.
हुमायूँ – नसीरूद्दीन मुहम्मद हुमायूं का जन्म 6 मार्च 1508 को काबुल
में हुआ था. बाबर की मृत्यु के बाद वह गद्दी पर बैठा.1530 में हुमायूं ने कालिन्जर
के किले पर घेरा डाला, परन्तु विजय प्राप्त करने के पूर्व ही घेरा उठा लिया. 1532
में दौरा के युध्द में अफगानों को पराजित किया. जून 1532 में चौसा के नजदीक हुई
लड़ाई में शेरशाह ने हुमायूं को बुरी तरह पराजित किया. फिर 1540 में कनौज्ज
(बिलग्राम) के युध्द के बाद हुमायूं पराजित हुआ.
इसके पश्चात् हुमायूं को देश छोड़ना पड़ा. बाद में ईरान के शाह की मदद
से पुनः हुमायूं अपने खोये राज्य को प्राप्त करने में सफल हो सका. 1555 में उसने
दिल्ली पर कब्ज़ा किया सन 1556 को दिल्ली में अपने दीन-ए-पनाह पुस्तकालय की सीढियों
से गिर जाने के कारण हुमायूं की मृत्यु हो गयी.
शेरशाह – शेरशाह का जन्म 1472 में हुआ इसके पिता हसन खां सासाराम के
जागीरदार थे इसने कुछ समय तक अपने पिता की जागीर की देखरेख में मदद की कुछ दिनों
के लिए यह बाबर की सेवा में भी रहा बिहार के नुहानी शासक बहार खां लोहानी की
मृत्यु हो गयी तो धीरे-धीरे यहाँ के शासन पर शेरशाह का नियंत्रण हो गया 1534 में
शेरशाह ने सूरजगढ़ के युध्द में बंगाल के शासक को पराजित किया. 1938 में रोहतासगढ़
के किले पर अधिकार किया.
1539 में प्रसिध्द चौसा के युद्ध में हुमायूं को पराजित
किया. 1540 में अंतिम रूप से कनौज्ज के युध्द में हुमायु को पराजित किया और दिल्ली
पर अपना अधिकार कर लिया. 1545 में कालिंजर अभियान के दौरान बारूद में आग लग जाने
की वजह से शेरशाह की मृत्यु हो गयी. शेरशाह ने लाहौर से बंगाल तक एक सडक का
निर्माण करवाया, जिससे आज जी.टी. रोड कहा जाता जाता है. दिल्ली का पुराना किला,
रोहतासगढ़ का किला एवं सासाराम में उसका मकबरा स्थापत्य के बेहतरीन नमूने है.
पद्मावत के लेखक मलिक मुहम्मद जायसी इसी समय में थे शेरशाह के बाद उसका पुत्र
इस्लामशाह गद्दी पर बैठा, लेकिन कुछ समय बाद 1555 में हुमायु में पुनः दिल्ली पर
कब्ज़ा कर लिया.
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