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बैंको के राष्ट्रीयकरण के परिणाम तथा उदारीकरण - बैंकिंग जागरूकता


राष्ट्रीयकरण के परिणाम




(1) उदार क्रेडिट विस्तार नीति के कारण सामान्य नियोजित दर बढ़ी है.

(2) राजनैतिक हस्तक्षेप एक अतिरिक्त बुराई रही.

(3) क्रेडिट संवितरण के लिए संचालित ऋण मेला के दौरान कमजोर मूल्यांकन वाले बैंक की साख भी रही.

(4) क्रेडिट सुविधाएं रियासती दरो पर पर प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रो तक बढ़ा दी गई जिससे उनके पुनरुत्थान में सहायता मिली.

(5) कम अनुवर्ती (उपज) एस.एल.आर निवेश के उच्च स्तर ने बैंको की लाभप्रदता को बुरी तरह प्रभावित किया.

(6) तीव्र शाखा विस्तार ने बैंको की लाभप्रदता कम कर दी मुख्य रूप से स्थिर लागत में बढ़ोत्तरी के कारण.

(7) बैंकिंग सेवाओं और दक्षता की गुणवत्ता में गिरावट हुई थी.

उदारीकरण


1990 के दशक के आरम्भ में नरसिम्हा राव सरकार ने उदारीकरण की नीति शुरू की. जिसमे निजी बैंको की एक छोटी संख्या को लायसेंस दिया गया. ये नई पीढ़ी तक सेविंग बैंको के रूप में जाना जाने लगा और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक नई पीढ़ी का स्थापित किया गया पहला बैंक शामिल किया गया जिसने बाद में ओरियंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स, एक्सिस बैंक (शुरू में यूटीआई बैंक कहलाता था) को मिला लिया.

आई.सी.आई.सी.आई. बैंक और एच.डी.एफ.सी. बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था में तेज विकास के साथ भारत में बैंकिंग क्षेत्र को पुनर्जीवित किया. जो की बैंक के तीनो क्षेत्रों मतलब सरकारी बैंक, निजी बैंक और विदेशी बैंको से मजबूत अंशदान (योगदान) के साथ तेज विकास देख चूका है.

भारतीय बैंकिग का अगला चरण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए मानदंडो में प्रस्तावित छूट के साथ स्थापित हो चिका है जहाँ बैंकको में सभी विदेशी निवेशकों को अनुदान अधिकार दिया जा सकता है, जिससे वर्तमान में 10% का अंतरण बढ़ सकता था. वर्तमान में यह कुछ प्रतिबंधों के साथ 74% तक बढ़ा चूका है. मार्च 2006 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बार वर्ग पिनकस को कोटक महिंद्रा बैंक (एक निजी क्षेत्र बैंक) में हिस्सेदारी 10% तक बढ़ाने की अनुमति दी थी. यह पहली बार है की किसी निवेशक को निजी बैंक 5% से अधिक रखने की अनुमति दी गई है. 2005 में जब आर.बी.आई. ने मानक घोषित किये थे की कोई भी हिस्सेदारी निजी बैंक में 5% से अधिक बढती है तो उनके द्वारा इसे पुनरीक्षित किया जाएगा.

बैंकिंग का इतिहास : एक नज़र में महत्वपूर्ण तथ्य
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना – 1935
भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण – 1949 (जनवरी)
बैंकिंग विनियमन अधिनियम का लागू होना – 1949 (मार्च)
भारतीय स्टेट बैंक का राष्ट्रीयकरण – 1955
एस.बी.आई. सहायक बैंको का राष्ट्रीयकरण – 1959
14 प्रमुख बैंको का राष्ट्रीयकरण – 1969
क्रेडिट गारंटी नियम निर्माण – 1971
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको का निर्माण – 1975
200 करोड़ से अधिक जमाराशि वाले बैंको का राष्ट्रीयकरण – 1980

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