मध्यकालीन भारत
( मामुलक वंश )
कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 – 1210 ई.)
दिल्ली का पहला मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था. उसे भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक भी माना जाता है. कुतुबुद्दीन ऐबक एक तुर्क था जिसकी जिन्दगी गुलामी से शुरू हुई थी बाद में इसे मोहम्मद गोरी ने खरीद लिया था. तराइन के द्वितीय युध्द के बाद 1192 ई. में गोरी ने उसे भारतीय साम्राज्य का शासक नियुक्त किया.
1192 में उसने अजमेर व मेरठ में विद्रोह का दमन किया तथा दिल्ली पर अपना अधिकार कर लिया. 1197 ई. में इल्तुतमिश को कुतुबुद्दीन ऐबक ने अन्हिलवाड के युध्द के पश्चात् ख़रीदा और उसे बाद में अपना दामाद बनाकर दिल्ली का सुल्तान बनाया. ऐबक का राज्यारोहन 24 जून 1206 ई. को हुआ. ऐबक ने 4 वर्ष शासन किया 1210 ई. में पोलो खेलते समय घोड़े से गिरकर ऐबक की मृत्यु हो गयी उसे लाहौर में दफनाया गया. ऐबक लाखबख्श (लाखों का दान देने वाला) के नाम से भी प्रसिध्द था. उसने दिल्ली में “कुव्वत-उल-इस्लाम” और अजमेर में “ढाई दिन का झोपड़ा” नामक मस्जिद का निर्माण कराया. दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार बनना उसके समय से आरम्भ हो गया था.
आरामशाह (1210 – 1211 ई.)
ऐबक की म्रत्यु के पश्चात् उसका पुत्र आरामशाह लाहौर की गद्दी पर बैठा, लेकिन उसकी अयोग्यता के कारण बदायूं के सूबेदार इल्तुतमिश को दिल्ली का सुलतान बनने के लिए आमंत्रित किया गया.
शमसुद्दीन इल्तुतमिश (1210 – 1236 ई.)
वस्तुतः दिल्ली का पहला सुलतान इल्तुतमिश था उसने सुलतान के पद की स्वीकृति खलीफा से प्राप्त की इल्तुतमिश का पूरा नाम शम्स–उद–दीन-इल्तुतमिश था वह मध्य एशिया के इल्बरी कबीले के तुर्क माता-पिता से उत्पन्न हुआ था. जलालुद्दीन नामक व्यापारी ने उसे खरीद कर गजनी ले लाया. इसके बाद वह दिल्ली लाया गया और दुबारा ऐबक के हाथों बेच दिया गया. ऐबक ने उसे आरम्भ से ही सर-ऐ-जन्हादार का महत्वपूर्ण पद दिया बाद में उसे बन्दायु का सूबेदार नियुक्त किया और 1210 ई. में वह सुलतान पद पर पहुँच गया. 1210 ई. में आरामशाह को परास्त किया और उसका वध कर दिया.
1215-16 ई. में तराइन के युध्द में इल्तुतमिश ने याल्दौज को परास्त किया. 1234-35 ई. में उसने मालवा पर चढाई कर दी तथा विदिशा और उज्जैन को लूटा. इल्तुतमिश ने अपने राज-दरबार में ईरानी रीतिरिवाज और व्यवहार का आरम्भ किया.
इल्तुतमिश ने लाहौर के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया वह पहला तुर्क सुल्तान था जिसने शुध्द अरबी सिक्के जारी किये. उसने कुतुबमीनार को पूरा करवाया. 1231-32 इक्तादारी प्रथा का प्रचलन इसी के समय में हुआ. इल्तुतमिश ने एक चहलगानी (चालीसा) का निर्माण किया जिसमें 40 दस होते थे जो तुर्क मुल्क के थे. जिसमे बलबन भी एक दास था.
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