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आउटसोर्सिंग क्या है ? भारत में आउटसोर्सिंग में करियर कैसे बनाये ? जानिए इस लेख में


आउटसोर्सिंग में करियर


उदारीकरण के पश्चात से भारत की आर्थिक स्थिती में निरंतर सुधार आता गया है और विश्व के नक़्शे में भारत अपनी प्रभावी उपस्तिथी अंकित करने में सफल रहा है यही कारन है की बहुरास्ट्रीय कम्पनियों की उपस्तिथी देश में दिखाई देने लगी है, विदेश निवेश को भी बढ़ावा मिला है और साथ ही रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होने लगे हैं, जिनमे आउटसोर्सिंग भी सामिल है कम खर्च में बेहतर आउटसोर्सिंग सुविधा उपलब्ध करने के कारन भारत कुछ वर्षो से आउटसोर्सिंग का हब बन चुका है जिससे इस छेत्र का स्कोप बढ़ता जा रहा है तथा आउटसोर्सिंग एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर के आया है आउटसोर्सिंग से सम्बंधित कार्य को कॉल सेण्टर के माध्यम से संचालित किया जाता है
                    
आउटसोर्सिंग का छेत्र पहले केवल बीपीओ तक ही सीमित था, लेकिन इसके अंतर्गत अब केपीओ , एलपीओ , पीपीओ जैसे कांसेप्ट भी सामनें आये हैं, जिनमे अभ्यार्तियों को अवसर मिलते हैं |

बीपीओ - बिजनेस प्रोसेसिंग आउटसोर्सिंग (बीपीओ) के अंतर्गत विभिन्न महत्वपूर्ण सेवाओ को किसी बाहरी संस्था को किसी खास उद्देश्य से हस्तांतरित किया जाता है | इसका सम्बन्ध डाटा एंट्री, प्रोस्सिंग कस्टमर सपोर्ट आदि से होता है
किसी भी स्ट्रीम से स्नातक बीपीओ सेक्टर में प्रवेश कर सकते हैं कुछ विसेस परिस्तिथियों  में तो 12वी उत्तीर्ण का चयन भी ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए कर लिया जाता है कंप्यूटर की बेसिक जानकारी हो तो इससे सम्बंधित तकनीक को समझाना आसन हो जाता है ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से बीपीओ की ट्रेनिंग ली जा सकती है हलाकि बीपीओ की ट्रेनिंग ली जा सकती है हलाकि नियुक्त करने वाली कंपनी भी कर्मचारियों को ट्रेनिंग देती है वैसे तो अंग्रेज़ी भाषा में नियंत्रण इस छेत्र में सफलता में सहायक है, मार्किट की जानकारी हो, सोच पॉजिटिव हो , ग्राहकों को समझने की कला आपको आती हो और साथ ही बातचीत करने में आपकी दक्षता हो, तो आप बेहतर बीपीओ प्रोफेसनल बन सकते हैं |



एलपीओ – एलपीओ यानी लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग का सम्बन्ध कानूनी जानकारी उपलब्ध कराने से है. इसके अंतर्गत कॉपीराइट, इंश्योरेंस कवर डाक्यूमेंट्स, लीगल रिसर्च, लीगल गॉइडलाइन आदि से सम्बंधित सुझाव दिए जाते है. लॉ ग्रेजुएट एलपीओ से संबंधित ट्रेनिंग लेकर इस क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है अंग्रेजी में दक्ष होने पर इस क्षेत्र में भी आगे बढ़ा जा सकता है.

पीपीओ – पर्सन टू पर्सन आउटसोर्सिंग (पीपीओ) की कार्य प्रगति फ्रीलांसिंग जैसी होती है इसके अंतर्गत प्रोफेशनल को किसी कम्पनी के लिए कार्य करना होता है, जिसके लिए उसे एक निर्धारित राशि पारश्रमिक के रूप में दी जाती है. पीपीओ में ऑनलाइन ट्यूशन, एकाउन्टिंग फीचर राईटिंग, होम डिज़ाइनिंग, सॉफ्टवेयर राईटिंग तथा कंसल्टेन्सी जैसे कार्य मिलते है.

अवसर – प्रशिक्षण के पश्चात् अभ्यर्थी कॉल सेंटर में उपलब्ध रिक्तियां के लिए आवेदन कर सकते है. लगभग सभी बड़े शहरों, जैसे – दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलुरू, गुडगाँव, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे आदि में कॉल सेंटर है, जहाँ आउटसोर्सिंग प्रोफेशनल की मांग होती है समाचार पत्र, जॉब वेबसाइट या कंसल्टेंसी सर्विस की सहायता से इस क्षेत्र से सम्बंधित नौकरी ढूंढी जा सकती है.

वेतनमान – इस क्षेत्र में प्रारम्भिक वेतन 20 से 25 हजार के मध्य होता है दो-तीन वर्ष के अनुभव के पश्चात् 35 से 50 हजार के मध्य वेतन आसानी से मिल जाता है.








    








    

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1 comment:

  1. Rong hai kha se 25 se 30 hajar 6 ya 7 hajar hi milta hai oh vi time pr nhi 5 ya 6 manth pr ek baar do ya 3 manth ka hi

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